ग्लेडियोलस के फूलों की मांग देशविदेश तक में होती है. किसान इसे आसानी से अपने आसपास के मार्केट में बेच सकता है.
लखीमपुर खीरी जिले की बिजुवा ब्लौक के मड़ईपुरवा गांव के प्रगतिशील किसान अचल कुमार मिश्रा ने सीएसआईआर- एनबीआरआई के सहयोग से विदेशी ग्लेडियोलस फूलों की खेती शुरू की है.
किसान अचल कुमार मिश्रा ने बताया कि पारंपरिक खेती की तुलना में ग्लेडियोलस की खेती में अच्छा मुनाफा मिल रहा है. इसी वजह से आसपास के किसान भी इस खेती से प्रेरित हो रहे हैं.
उन्होंने आगे बताया कि एक एकड़ में उन्होंने ग्लेडियोलस की खेती की शुरुआत की है. इस खेती में कम लागत से मुनाफा मिल रहा है. इस के अलावा फूलों के साथ साथ स्टिक और बीजों से भी अच्छी आमदनी हो जाती है.
ग्लेडियोलस की उन्नतशील प्रजातियां
ग्लेडियोलस की लगभग 10,000 किस्में हैं, लेकिन कुछ मुख्य प्रजातियों की खेती उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में होती है जैसे स्नो क्वीन, सिल्विया, एपिस ब्लास्मे, बिग्स ग्लोरी, टेबलर, जैक्सन लिले, गोल्ड बिस्मिल, रोज स्पाइडर, कोशकार, लिंकेन डे, पैट्रीसिया, जार्ज मैसूर, पेंटर पियर्स, किंग कीपर्स, किलोमिंगो, क्वीन, अग्नि, रेखा, पूसा सुहागिन, नजराना, आरती, अप्सरा, सोभा, सपना और पूनम आदि हैं.
ग्लेडियोलस की प्रति हेक्टेयर बोआई
एक हेक्टेयर भूमि की रोपाई के लिए लगभग 2 लाख कंदों की आवश्यकता पड़ती है. यह मात्रा कंदों की रोपाई की दूरी पर घटबढ़ सकती है.
कंदों का शोधन बाविस्टीन के 0.02 फीसदी के घोल में आधा घंटा डुबो कर छाया में सुखा कर बोआई या रोपाई करनी चाहिए.
कंदों की रोपाई का उत्तम समय उत्तरभारत के मैदानी क्षेत्रों में सितंबर से अक्तूबर तक होता है. कंदों की रोपाई लाइनों में करनी चाहिए. शोधित कंदों को लाइन से लाइन एवं पौधे से पौधे की दूरी 20 सैंटीमीटर अर्थात 20 गुणा 20 सैंटीमीटर की दूरी पर 5 सैंटीमीटर की गहराई पर रोपाई करनी चाहिए. लाइनों में रोपाई से निराईगुड़ाई में आसानी रहती है और नुकसान भी कम होता है.
कृषि मंत्री ने की फूलों की खेती की सराहना
मड़ई पुरवा में हो रही विदेशी फूलों की खेती को ले कर कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने ग्लेडियोलस के फूलों को देख कर मंच से सराहना करते हुए कृषि में दिनप्रतिदिन हो रहे नवाचारों के बारे जानकरी दी. उन्होंने कहा कि फूलों की खेती से कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.
नेपाल से भी आ रही डिमांड
ग्लेडियोलस के फूलों की पड़ोसी देश नेपाल से भी ज्यादा डिमांड हो रही है, वहीं सहालग शुरू होने की वजह से 10 से 15 रुपए प्रति स्टिक फूलों का अच्छा भाव मिल रहा है. अब तक नेपाल को 10,000 स्टिक सप्लाई की जा चुकी है.
एफपीओ बना कर करा रहे समूहबद्ध खेती
किसानों को उन की उपज का बेहतर मूल्य मिल सके, इस के लिए जगदेवपुर यूएस फार्मर आर्गनाइजेशन प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड बना कर के जनजाति समाज को भी फूलों की खेती से जोड़ कर उन्हें सशक्त बना रहे हैं. अचल कुमार मिश्रा ने बताया कि उन के समूह में अब तक 800 से अधिक किसान जुड़े हुए हैं.