मानसून के दस्तक देने के साथ ही अधिकतर फलदार आम, नीबू, अमरूद, लीची, अनार आदि पौधों की रोपाई का काम शुरू हो जाता है. फलदार पौधे की रोपाई के बाद सूखे न और उन का समुचित विकास हो, इस के लिए जरूरी हो जाता है कि किसान पौध रोपाई के पूर्व की जाने वाली सावधानियों और कामों को समय से पूरा करें.
तुरंत गड्ढा खोद कर पौध लगाने से एक तो पौध की सही से बढ़वार नहीं हो पाती और जड़ें नीचे तक नहीं जा पाती हैं. वहीं पौधे को पोषक तत्त्वों की खुराक नहीं मिल पाती और पत्तियां जलने लगती हैं.
इस के अलावा पौधा गोमोसिस बीमारी की चपेट में आ जाता है, जो धीरेधीरे सूख जाता है. बाग लगाने के पहले खोदे गए गड्ढे में पौध रोपण से पौधे को भरपूर पोषक तत्त्व मिलते हैं और फल भी जल्दी प्राप्त होने लगता है.
एक बात का खास खयाल रखें कि बाग लगाने की तैयारी कर रहे हैं, तो मिट्टी जांच जरूर कराएं, इसलिए बगीचों की स्थापना के लिए जगह के चयन, रेखांकन के बाद गड्ढे बनाने का काम जल्द पूरा किया जाना चाहिए. समय पर इस में डाले जाने वाले उर्वरक और खाद को मिट्टी में मिला कर इन का उचित रोपण करें.
ये काम पौध रोपित करने के बाद नहीं किए जा सकते हैं, इसलिए खेत की तैयारी और गड्ढा बनाने का काम शीघ्र पूरा करना चाहिए. पौधा लगाते समय अगर किसी प्रकार की कोई कमी रह जाती है, तो बगीचों के संपूर्ण जीवनकाल में इस कमी को पूरा नहीं किया जा सकता है.
जो किसान मानसून सीजन में पौध रोपण की तैयारी कर रहे हैं, वे जिस खेत का चुनाव बाग लगाने के लिए कर रहे हैं, उस खेत के खाली होने की दशा में अप्रैल महीने में सिंचाई करने के बाद उचित नमी रहते जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना कर समतल कर लेना जरूरी हो जाता है. इस दौरान यह सुनिश्चित कर लें कि खेत में खरपतवार न हों. खरपतवार होने की दशा में खेत से खरपतवार हटा दें.
पौध रोपने लिए खेत की तैयारी और दूरी का निर्धारण
बाग लगाने के लिए जब आप रेखांकन यानी पौध से पौध और लाइन से लाइन की दूरी का निर्धारण कर रहे हों, तो यह सुनिश्चित कर लें कि जब बाग सघन हो जाएं, तब भी सूरज की सही रोशनी पेड़ों को मिलती रहे. इस के लिए किसान पौधों की बढ़वार के हिसाब से दूरी तय कर सकते हैं.
वर्गाकार विधि दूसरी सभी विधियों में सब से अच्छी और सफल मानी जाती है, क्योंकि इस में पौधों से पौधों की दूरी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी समान होती है. पौधों के रोपने के लिए सीधी लाइनों का निर्धारण करने के लिए आप रस्सियों या बड़े इंचटेप का सहारा ले सकते हैं.
जब आप पौध लगाने के लिए रेखांकन कर रहे हों, उसी दौरान यह सुनिश्चित कर लें कि जितनी दूरी पर आप को पौध रोपना है, वहां कोई लकड़ी का टुकड़ा या खूंटी गाड़ते जाएं, जो बाद में गड्ढा खुदाई के काम को आसान कर देता है.
अगर आप बड़ी लंबाई और सघनता वाले पारंपरिक किस्मों की रोपाई करने जा रहे हैं, तो उस के लिए पौध से पौध और लाइन से लाइन 10×10 मीटर की सीधी दूरी पर वर्गाकार स्थिति में रखें, जबकि मध्यम लंबाई वाली किस्मों के लिए 5 से 6 मीटर लाइन से लाइन और 5 से 6 मीटर पौध से पौध की दूरी का निर्धारण करते हुए रेखा खींच लें, जबकि आम्रपाली, सेंसेशन, टौमी एटकिंस, अरुणिका, अरुणिमा या अन्य फलदार पौधों की बौनी किस्मों के लिए 3 से 4 मीटर लाइन से लाइन और 3 से 4 मीटर पौध से पौध की दूरी रखते हुए रेखांकन कर लें.
गड्ढों की खुदाई और भराई
बाग लगाने के लिए जब आप दूरी का रेखांकन कर लें, तो निर्धारित की गई दूरी पर ट्रैक्टर से संचालित होने वाले होल डिगर या फावड़े से बड़े लंबाई वाले पेड़ों के लिए 1 मीटर गहरा, 1 मीटर चौड़ा और 1 मीटर लंबा, जबकि मध्यम और बौने किस्म के फल पेड़ों के लिए आधा मीटर गहरा और आधा मीटर चौड़ा और आधा मीटर लंबा गड्ढा खोद लें.
इस दौरान यह ध्यान रखें कि गड्ढे से निकाली गई निचली और ऊपरी सतह की मिट्टी अलगअलग रखनी चाहिए, जो बाद में गड्ढा भराई के दौरान काम आती है. गड्ढा खुदाई से निकाली गई मिट्टी को कम से कम 14 दिनों तक कड़ी धूप में पड़ा रहने दें. इस से मिट्टी के नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े और खरपतवार समाप्त हो जाते हैं.
जब मिट्टी पूरी तरह से धूप से शोधित हो जाए, तो प्रति गड्ढा 40 से 50 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई या कंपोस्ट खाद, 100 ग्राम से 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 500 ग्राम से 1 किलोग्राम पोटाश को अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए. इस के बाद गड्ढे से निकाली गई ऊपर वाली मिट्टी को पहले और नीचे वाली मिट्टी को बाद में गड्ढों में डालते हुए भराई कर देनी चाहिए.
मिट्टी की भराई के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि जब आप गड्ढों की भराई कर रहे हों, तो गड्ढे में आसपास की सतह से कम से कम 20 सैंटीमीटर से अधिक मिट्टी की ऊंचाई रखें. ऐसा करने से रोपे जाने वाले पौधों के आसपास जल जमाव की स्थिति नहीं होती है.
गड्ढा भराई के तुरंत बाद ही सभी गड्ढों के बीचोंबीच कोई मजबूत लकड़ी की खूंटी गाड़ दें, जो बाद में पौध रोपण के दौरान यह निर्धारित करता है कि गड्ढे के मध्य खूंटी वाली जगह है और उसी स्थान पर पौधों की रोपाई की जानी है.
गड्ढों में यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद अगर बारिश हो जाती है तो ठीक है, नहीं तो भरे गए गड्ढों की सिंचाई कर दें. इस से गड्ढों वाली जगह की मिट्टी जितनी बैठनी होगी उतनी बैठ जाती है. बाग लगाने के लिए तैयार किए गए गड्ढे मानसून की 2-3 बारिश के बाद पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाता है.
फलदार पौधों के रोपाई का सब से मुफीद समय जुलाई से सितंबर महीने का होता है. आप बाग लगाने के लिए जब भी पौधे खरीदें, तो यह तय कर लें कि या तो वह सरकारी पौधशाला हो या सरकार द्वारा लाइसैंसप्राप्त पंजीकृत पौधशाला हो.
आप जब भी पहले तैयार गड्ढों में पौध रोपण करने जाएं, तो पौध रोपण के 5 दिन पहले दीमकरोधी के साथ अन्य नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों से पौधों को बचाने के लिए ऊपरी सतह को क्लोरोपाइरीफास या फेनवैलरेट दवाओं से उपचारित कर लें.
इस के बाद गड्ढे को तैयार करते समय गड्ढों के बीचोंबीच जो खूंटियां गाड़ी थीं, उसे उखाड़ कर वहां पौध रोपण के लिए पौलीपैक या पिंडी के बराबर गहराई के गड्ढे खोद लें और पिंडी से प्लास्टिक कवर को हटा कर पौधे की रोपाई कर दें. इस के बाद मिट्टी को अच्छी तरह से दबा कर पौधों को तुरंत पानी दें या सिंचाई कर दें.
पौध रोपाई के बाद पौधों की उचित बढ़वार और फलन प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि आप समयसमय पर पौधों को खादउर्वरक देने के साथ ही निराईगुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण का काम करते रहें. साथ ही, पौधों में कीट व रोगों की रोकथाम के लिए समयसमय पर निगरानी भी करते रहें.
अगर पौधे में किसी तरह का कीट व रोग दिखाई पड़ता है, तो अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि महकमे या कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से सलाह ले कर उचित उपाय अपनाएं.
बाग लगाने के दौरान इन बातों का रखें विशेष खयाल
* किसान जब पौधे की रोपाई कर रहे हों, तो यह ध्यान रखें कि पौधों को गड्ढे में उतनी गहराई में ही लगाएं, जितना कि वह नर्सरी या गमले में या पौलीथिन की थैली में था, क्योंकि पौधे को अधिक गहराई में लगाने से तने को हानि पहुंचती है और कम गहराई में लगाने से जड़ें मिट्टी के बाहर जाती हैं, जिस से उन को नुकसान पहुंचता है.
* पौधों को रोपने के पहले उस की अधिकांश पत्तियों को तोड़ देना चाहिए, लेकिन ऊपरी भाग की 4-5 पत्तियां लगी रहने देना चाहिए, क्योंकि पौधों में अधिक पत्तियां रहने से जमीन से पानी अधिक उड़ता है. इस वजह से पौध जमीन से पानी नहीं खींच पाते, क्योंकि जड़ें क्रियाशील नहीं हो पाती हैं. इस के चलते पानी की कमी से पौधा मर भी सकता है.
* पौधे का कलम किया हुआ स्थान भूमि से ऊपर रखें, अन्यथा मिट्टी में दब जाने से वह स्थान सड़ने लग जाता है और पौधा मर सकता है.
* पौधे में ग्राफ्टिंग के जोड़ की दिशा दक्षिणपश्चिम की ओर रहनी चाहिए, इस से तेज हवा से जोड़ टूटता नहीं है.
* जब पौध को रोप लें, तो उस के आसपास की मिट्टी अच्छी तरह से दबा देनी चाहिए, जिस से सिंचाई करने में पौधा टेढ़ा न हो.
* पौधा लगाने के तुरंत बाद ही सिंचाई करनी चाहिए.
* जहां तक मुमकिन हो, पौधे शाम को ही लगाए जाने चाहिए.
* यदि पौधे दूर के स्थान से लाए गए हैं, तो उन्हें पहले गमले में रख कर एक सप्ताह के लिए छायादार स्थान में रख देना चाहिए. इस से पौधों के आवागमन में हुई क्षति पूरी हो जाती है. इस के पश्चात उन्हें गड्ढों में लगाना चाहिए. तुरंत ही गड्ढे में लगा देने से पौधों के मरने का डर रहता है.
पौधों का चयन करते समय रखें खास खयाल
* आप जब भी पौधशाल से पौधे खरीदें, तो यह सुनिश्चित कर लें कि पौधों में कलम बांधें यानी ग्राफ्टिंग किए हुए कम से कम उस की अवधि एक वर्ष हो गई हो. इस से पौधों के सूखने की संभावना नहीं होती है.
* जब भी पौधे खरीदें, उस की विश्वसनीयता की जांच जरूर करें. उस नर्सरी से पौधे नहीं लेने चाहिए, जिस के पास मदर प्लांट न हो.
* यह सुनिश्चित कर लें कि रोपे जाने वाले पौधे किसी भी प्रकार के रोग से संक्रमित न हों.
* एक तने वाले सीधे, कम ऊंचाई वाले, फैले हुए उत्तम रहते हैं.
* पौधों का मिलन बिंदु यानी जहां कलम बांधी गई है या ग्राफ्टिंग की गई है, वह अच्छी तरह जुड़ा हो.
* हमेशा पौलीपैक यानी पौलीथिन में लगाए गए पौधे ही खरीदें.