लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि आज अन्नदाता किसानों को परंपरागत खेती से दोगुना दाम तो मिल ही रहा है, लेकिन जिन किसानों ने सहफसली खेती के साथसाथ औषधि व सगंध औषधीय खेती, बागबानी को बढ़ावा दिया और हर्बल उत्पादों को प्रोत्साहित किया, ऐसे किसानों को लागत का कई गुना अधिक दाम प्राप्त हो रहा है. यह अन्नदाता किसानों के जीवन में परिवर्तन का एक बड़ा माध्यम बना है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ में सीएसआईआर-सीमैप द्वारा आयोजित किसान मेले का उद्घाटन करने के पश्चात इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में देश की बागडोर संभालते समय किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लक्ष्य साथ काम करने का निर्देश दिया था. उन के नेतृत्व में इस के दृष्टिगत जो कार्यक्रम चलाए गए हैं, वे हम सब के सामने हैं.
इन कार्यक्रमों में सौयल हेल्थ कार्ड, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, पीएम किसान सम्मान निधि योजना आदि सम्मिलित हैं. इन सभी योजनाओं के साथ जब हम वैज्ञानिक सोच और इनोवेशन को जोड़ते हैं, तो इस के अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं. देश में पहली बार वर्ष 2018 से अन्नदाता किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम मिलना प्रारंभ हुआ. अब इस में काफी वृद्धि हुई है.
संसद के प्रत्येक सत्र में किसानों की खुदकुशी का मुद्दा उठता था. किसानों की खुदकुशी की वजह उपज का उचित दाम, उत्तम बीज, उचित सलाह, सिंचाई की सुविधा, बाजार तक पहुंच न होना आदि थी.
यह अच्छा अवसर है, जब हम अपने अन्नदाता किसानों को सहफसली लेने, इन के द्वारा विकसित की गई प्रजाति को और अधिक प्रमोट करने के लिए उन का सहयोग ले सकते हैं. साथ ही, औषधीय पौधों और फसल विविधीकरण जैसे अन्य क्षेत्रों में भी इन का सहयोग ले कर किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ाने का काम किया जा सकता है. यदि किसानों को समय पर उन्नत किस्म के बीज, तकनीक और वैज्ञानिक सलाह मिल जाए, तो वे प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप काम करने में कामयाब हो सकेंगे.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि बाजार से लिंक कर ईको सिस्टम कैसे तैयार होता है, यह यहां की प्रदर्शनी में देखने को मिला. यहां 15 राज्यों के तकरीबन 4,000 किसानों के अतिरिक्त, प्रदेश के बाराबंकी, संभल, अमरोहा आदि जिलों के किसानों के साथसाथ लखीमपुर खीरी के जनजाति समुदाय से जुड़े लोग भी आए हैं. ये लोग खेती की उन्नत किस्मों को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे रहे हैं.
प्रदेश में स्थित 89 कृषि विज्ञान केंद्रों, 4 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (5वां भी स्थापित होने जा रहा है) कृषि, बागबानी, आयुष आदि क्षेत्रों से जुड़े वैज्ञानिकों और लोगों को समयसमय पर सीमैप, सीडीआरआई, एनबीआरआई और आईआईटीआर लैबोरेट्रीज की विजिट कराई जानी चाहिए, ताकि इन की क्षमताओं का बेहतर उपयोग कर, किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाने का काम किया जा सके. इस दिशा में तेजी के साथ प्रयास किए जाने की आवश्यकता है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि यदि किसान खुशहाल होगा, तो प्रदेश खुशहाल होगा. राज्य में पर्याप्त उर्वर भूमि, प्रचुर जल संसाधन हैं. प्रदेश में देश की कुल कृषि योग्य भूमि की महज 11 फीसदी कृषि भूमि है, इस के बावजूद देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन का 22 फीसदी खाद्यान्न केवल उत्तर प्रदेश में उत्पादित होता है. यह यहां की भूमि की उर्वरता को प्रदर्शित करता है. इस क्षेत्र में हमें अभी बहुतकुछ करना है.
उन्होंने कहा कि सीमैप द्वारा उन्हें बताया गया कि संस्थान ने अलगअलग क्लस्टर विकसित किए हैं. हम प्रदेश के सभी 89 कृषि विज्ञान केंद्रों में क्लस्टर विकसित कर, नए तरीके से किसानों के समूह को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे सकते हैं. यदि हम औषधीय पौधों की खेती, प्रोसैसिंग और मार्केटिंग को इस के साथ जोड़ लें, तो कई गुना अधिक लाभ किसानों को प्राप्त होगा.
यदि किसान परंपरागत खेती के अंतर्गत प्रति एकड़ प्रति वर्ष 20 से 25 हजार रुपए कमा रहा है, तो औषधीय पौधों की खेती में वही किसान सवा लाख से डेढ़ लाख रुपए प्रति एकड़ प्रतिवर्ष कमा सकता है. इस दिशा में सीमैप और अन्य केंद्रीय लैबोरेट्रीज द्वारा प्रयास प्रारंभ किया गया है. यदि सभी मिल कर इस काम को आगे बढ़ाएंगे, तो इस के बेहतर नतीजे आएंगे.
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को उन्नतशील प्रजातियों की पौध रोपण सामग्री का वितरण किया. उन्होंने किसान मेले की स्मारिका और कृषि की उन्नतशील प्रजातियों पर केंद्रित एक पुस्तिका का विमोचन भी किया. उन्होंने हर्बल उत्पाद, एलोवेरा जेल और वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एरोमा एप का शुभारंभ किया.
इस के पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसान मेले में लगी प्रदर्शनी का अवलोकन किया और पौधरोपण भी किया. कार्यक्रम को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने भी संबोधित किया.
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी, महानिदेशक सीएसआईआर एन. कलैसेल्वी, निदेशक सीमैप डा. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक एनबीआरआई डा. अजीत कुमार शासनी, निदेशक आईआईटीआर डा. भास्कर नारायण, निदेशक सीडीआरआई डा. राधा रंगराजन सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.