छत पर खेती करने की बात सुनने में जरूर अजीब लगती है लेकिन आजकल अनेक लोग इस तरह की खेती कर रहे हैं. इस के लिए कुछ जरूरी एहतियात बरतना जरूरी होता है. इस तरह की खेती में मिट्टी की जरूरत नहीं होती और पानी भी कम लगता है.
छत पर खेती करने के लिए ऐसी क्यारी बनाई जाती है जो वाटर प्रूफ होती है और उस से पानी का छत पर टपकने का खतरा नहीं रहता है.
इन क्यारियों में भिंडी, टमाटर, बैगन, मेथी, पालक, चौलाई, पोई, मिर्च वगैरह उगाई जाती है. इस में नारियल का खोल (सूखा छिलका) मुख्य रूप से डाला जाता है.
छत पर ज्यादा वजन न पड़े और पानी रिसने की समस्या न हो, इस के लिए मिट्टी का इस्तेमाल नहीं होता है. इस बस्ते में नारियल के खोल के अलावा कुछ जैविक खाद भी मिलाई जाती है, जिस से उन पौधों से बेहतर गुणवत्ता वाली पैदावार मिलती है.
आने वाले समय में इस तरह की खेती की मांग बढ़ेगी क्योंकि अब खेती की जमीन भी कम होती जा रही है और लोग बाहर की चीजों पर भरोसा भी कम करते हैं. घर पर पैदा की गई सब्जी पूरी तरह सुरक्षित व सेहतमंद भी होगी. 4×4 फुट की 4 क्यारियां लगाने पर एक परिवार अपने महीनेभर की जरूरत की सब्जी उगा सकता है. इन क्यारियों में एक घंटा समय लगाने से मनपसंद सब्जियां उगाई जा सकती हैं.
एक तरीका ऐसा भी है
खेतों के घटने और आर्गेनिक फूड प्रोडक्ट की मांग बढ़ने से अब खेती में नई और कारगर तकनीकों का चलन बढ़ता जा रहा है. मांग पूरी करने के लिए कारोबारी और शहरी किसान छतों पर, पार्किंग में या फिर कहीं भी मौजूद कम जगह का इस्तेमाल अपनी पैदावार के लिए कर रहे हैं.
हाइड्रोपौनिक तकनीक से सब्जियां : इस तकनीक की खास बात यह है कि इस में मिट्टी का इस्तेमाल जरा भी नहीं होता. इस में लकड़ी का बुरादा वगैरह डाला जाता है. इस के अलावा इस में बालू, बजरी भी डाली जाती है जिस से पौधों को सहारा मिलता है. इस तकनीक से पौधों को जरूरी पोषक तत्त्व पानी के जरीए सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है.
पौधों को उगाने का यह बिलकुल ही नया तरीका है और इसे किसान या कारोबारी अलगअलग तरह से इस्तेमाल में ला सकते हैं. वहीं इस क्षेत्र में काम कर रही कई कंपनियां भी आप को शौकिया गार्डन से ले कर कमर्शियल फार्म तक बनाने में मदद कर सकती हैं.
आजकल कई कंपनियां हाइड्रोपौनिक्स किट औनलाइन बेच रही हैं. इस में सागसब्जी उगाई जा सकती हैं. 2 मीटर ऊंचे टावर में 40 पौधे लगाने की जगह होती है और तकरीबन 400 पौधे वाले 10 टावर की लागत तकरीबन 1 लाख रुपए के करीब होती है. इस कीमत में टावर, सिस्टम और जरूरी पोषक तत्त्व शामिल होते हैं.