अब तक तो हम लोगों ने यही सुना था कि सेब सिर्फ ठंडे प्रदेशों में ही हो सकते हैं, पर इसी सोच के उलट पिछले 20 सालों से भारत के अलगअलग प्रदेशों में हरमन 99 प्रजाति का सेब आसानी से गरम इलाकों में भी फलफूल रहा है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि सेब अब कश्मीर, हिमाचल या ठंडे इलाकों की फसल नहीं रह गया है. इतना ही नहीं, बिहार में भी सेब की भरपूर खेती हो रही है.

गरमियों में 45-50 डिगरी सैल्सियस तक में सेब के पैदा होने का मतलब यह है कि अब एक ही बाग में आम और सेब दोनों लगाए जा सकते हैं. डाक्टर केसी शर्मा और हरिमन शर्मा ने तो जम्मू के एक आश्रम में सेब का बागान भी लगा दिया है, जहां टनों सेब हो रहे हैं, वह भी तरबूज के साथ.

कैसी चाहिए मिट्टी

हरमन 99 प्रजाति के सेब किसी भी तरह की मिट्टी में उगाए जा सकते हैं. रेतीली, दोमट, काली, लाल कैसी भी मिट्टी हो, यह प्रजाति सभी मिट्टी में हो जाती है. इस प्रजाति के सेब की खास बात यह है कि जलवायु का भी इस फसल पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता.

अच्छी कमाई

सेब की यह अकेली ऐसी प्रजाति है, जो 13 महीने में ही फल देना शुरू कर देती है यानी इस सेब का पौधा आप आज लगाएंगे तो एक साल बाद उन्हें खा सकते हैं. सर्दियों के सेबों के विपरीत इस किस्म का सेब गरमियों में ही होता है. जून माह तक इस की फसल तोड़ ली जाती है.

यदि कोई बागबान एक एकड़ में सेब की खेती करता है, तो सालाना 7-8 लाख रुपए तक कमा सकता है. इन से कमाई इसलिए भी ज्यादा की जा सकती है, क्योंकि ये सेब सीधे बाजार में बेचे जा सकते हैं, जबकि कश्मीर के सेब बिहार तक लाने में बेहद महंगे हो जाते हैं.

कैसे कर सकते हैं खेती

सेब के पौधे को लगाने के लिए सब से पहले गड्ढा खोदना पड़ता है. फिर उस में कीटनाशक डालना पड़ता है, ताकि कोई बीमारी ना आए. इस के बाद पौधे को कार्बंडाजिम में उपचारित कर के लगाया जाता है. इस में केवल सिंचाई दे कर भी अच्छे फल शामिल किए जा सकते हैं.

इस किस्म को नवंबर से फरवरी महीने के अंतिम हफ्ते तक बोया जा सकता है. ध्यान रखने वाली बात यह है कि जब भी इस के पौधे  लाए जाएं, तो उस के एक हफ्ते के अंदर ही इन्हें गड्ढे में लगा दिया जाए, नहीं तो ये पौधे सूख जाते हैं.

जानिए कैसे हुई इस की खोज

पेशे से सर्जन डा. केसी शर्मा भारत सरकार की साइंस ऐंड टैक्नोलौजी की टैक्निकल एडवाइजरी कमेटी के सदस्य हैं और कई राष्ट्रीय पुरस्कारों समेत डब्ल्यूएचओ से भी सम्मानित हैं.

वे बताते हैं कि इस सेब को बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश के एक किसान हरिमन शर्मा ने खोजा था. उन्हीं के नाम पर सेब की इस किस्म का नाम हरमन 99 रखा गया है.

साल 1999-2000 से ही डा. केसी शर्मा ने जब इस सेब के बारे में रिसर्च लैबोरेट्री और यूनिवर्सिटी को बताना शुरू किया, लेकिन एक किसान और एक सर्जन की बात पर उन्होंने यकीन नहीं किया.

इस के बाद उन्होंने सोचा कि इसे ऊपर से नीचे पहुंचाया जाए. उन्होंने इस के पौधे देश के जानेमाने लोगों के घर पर लगाने शुरू किए. उन्होंने बताया कि आज यह पेड़ राष्ट्रपति भवन में भी लगा है और देहरादून समेत देश के सभी राजभवनों में भी.

डा. केसी शर्मा के मुताबिक, इस बार एक सेब 306 ग्राम का आया है, जो एक रिकौर्ड बन गया है. इस किस्म के सेब आमतौर पर 250 ग्राम तक के हो रहे हैं.

डा. केसी शर्मा के मुताबिक, उन्होंने 3 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से हरमन 99 की न्यूट्रीशन वैल्यू की जांच करवाई है. इस की हिमाचल व कश्मीर के ठंडे इलाकों में होने वाले सेबों से तुलना करने पर पता चला है कि इस की न्यूट्रीशन वैल्यू वहां के सेब की तुलना में बहुत ज्यादा है.

शहरों में उगाने के लिए हरमन 99 को बड़े गमलों और प्लास्टिक के ड्रमों में भी लगाया गया. यह प्रयोग सफल रहा है और मुंबई में तो 12वीं मंजिल में भी यह फल दे रहा है.

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