नई दिल्ली/भोपाल/मुरैना : 5 अक्तूबर, 2023. केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग ने रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के तहत मुरैना जिले में हौर्टिकल्चर कालेज स्थापित करने का निर्णय लिया है. इस के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है, वहीं मध्य प्रदेश राज्य सरकार द्वारा तहसील पोरसा, जिला मुरैना में लगभग 300 एकड़ भूमि का आवंटन भी कर दिया गया है. इस कालेज की स्थापना पर तकरीबन 160 करोड़ रुपए की लागत आएगी, जिस का वहन केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा.
इस अंचल में यह कालेज अपनी तरह का पहला कालेज होगा एवं इस में स्नातक स्तर की पढ़ाई होगी, जिस में फल विज्ञान, सब्जी विज्ञान, फूलों की खेती और भूनिर्माण, पौध संरक्षण, सामाजिक विज्ञान, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, बुनियादी विज्ञान आदि जैसे विभिन्न विभाग होंगे.
इस कालेज के माध्यम से हौर्टिकल्चर संबंधी अनुसंधान कार्यों को भी गति मिलेगी. साथ ही, नए रोजगार भी सृजित होंगे और क्षेत्र के किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी यह कालेज सहायक होगा. चंबलग्वालियर क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के प्रयासों से इस तरह एक के बाद एक अनेक सौगातें मिली हैं.
मुरैना मध्य भारत के पठार व कृषि पारिस्थितिक उपक्षेत्र, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईईसीएआर) के बुंदेलखंड ऊपरी क्षेत्र के अंतर्गत आता है. मुरैना जिले की अर्थव्यवस्था मूलतः कृषि प्रधान है. जिले में कृषि, बागबानी एवं डेरी मुख्य व्यवसाय है. यहां बागबानी फसलों के अंतर्गत अमरूद, नींबू, आम जैसे फल और आलू, टमाटर, बैंगन, मिर्च, खीरा आदि सब्जियां उगाई जाती हैं.
मुरैना जिले में धनिया, अदरक, हलदी, मिर्च, लहसुन जैसे विभिन्न मसालों के साथसाथ गेंदा, गुलाब एवं गिलार्डिया जैसे फूलों की भी खेती की जाती है.
मुरैना जिला विभिन्न फलों, सब्जियों एवं फूलों के बड़े उत्पादक के रूप में उभर रहा है. यद्यपि क्षेत्र में हाल के दशक में बागबानी फसलों की खेती अत्यधिक लाभकारी उद्यम के रूप में उभरी है, फिर भी यह जिले में सकल फसल क्षेत्र का तकरीबन 2.5 फीसदी ही है, इसलिए प्रस्तावित कालेज न केवल मुरैना जिले, बल्कि चंबलग्वालियर क्षेत्र की समग्र प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए मील का पत्थर साबित होगा