यदि किसी काम को करने की लगन और मेहनत का जज्बा हो तो व्यक्ति अच्छीखासी आमदनी हासिल कर सकता है. यह सिद्ध कर के दिखाया है नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा के किसान उमाशंकर कुशवाहा ने.

फूलों की खेती कर के उमाशंकर ने पूरी गाडरवारा तहसील में अपना नाम रोशन किया है. उमाशंकर ने परंपरागत खेती से हट कर अपनी आमदनी के जरीए बढ़ाए हैं. वे अपने खेतों में फूलों की खेती कर के कई किस्म के फूल उगाते हैं. फूलों के साथसाथ मालाएं और गुलदस्ते बना कर बेचते हैं. साथ ही शादीब्याह, जन्मदिन जैसे मौकों पर फूलों से पंडालों की सजावट भी कुशलता के साथ करते हैं.

गाडरवारा में शक्कर नदी के पार कौड़या रोड पर उमाशंकर का फार्महाउस है, जिस में उन के चारों भाइयों के परिवार रहते हैं. वे लोग सब्जीभाजी की खेती के अलावा फूलों की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. उमाशंकर कुशवाहा बताते हैं कि उन के मामाजी भी सोहागपुर पिपरिया में फूलों की खेती करते थे. उन्हें देख कर ही उमाशंकर के मन में भी फूलों की खेती करने की चाहत हुई.

मुख्य रूप से गेंदा, नवरंगा और गैलार्डिया के फूलों की खेती करने वाले उमाशंकर का कहना है कि वे साल में 2 बार फूलों के बीज डाल कर फूलों की खेती करते हैं. वे जूनजुलाई में खेतों को अच्छी तरह से तैयार कर के गेंदे की पौध लगाते हैं.

देशी किस्म का गेंदा 90 से 100 दिनों में फूल देने लगता है, जबकि हाईब्रिड किस्म के गेंदे 50 से 60 दिनों में ही फूल देने लगते हैं. सितंबर से फरवरी तक गेंदे में अच्छी मात्रा में फूल निकलते हैं.

गरमी के मौसम में होने वाले फूलों नवरंगा और मांगरेट की बौनी किस्में अक्तूबर में बोई जाती हैं. फूलों के पौधों को रासायनिक खाद व उर्वरक के अलावा समयसमय पर कोराजन जैसे कीटनाशकों का इस्तेमाल भी करना पड़ता है.

नवरंगा की बोआई : नवरंगा फूल जिसे गैलार्डिया के नाम से भी जाना जाता है, को गरमी के फूलों का राजा कहा जाता है.

इसे बोने के लिए अक्तूबर में खेत की 2 बार जुताई के कर मिट्टी को भुरभुरी व समतल बना कर तकरीबन 3×1 मीटर की क्यारियां तैयार कर लेते हैं. क्यारियों में गोबर की सड़ी खाद डाल कर यूरिया, पोटाश और फास्फोरस भी डाला जाता है.

क्यारियों में अच्छी किस्म के फूल के बीज प्रति एकड़ 800 ग्राम से 1 किलोग्राम की मात्रा में 5 सेंटीमीटर गहरा बो देते हैं. बीज बोने के बाद ऊपर से सूखी घास डाल कर हलकी सिंचाई करते हैं.

क्यारियों में बीज बोने के 3 से 4 हफ्ते बाद खेत में लगाने के लिए पौध तैयार हो जाती है.

पौधों को शाम के समय लगाना अच्छा रहता है. हफ्ते में 2 से 3 दिन सिंचाई की जाती है. बीज बोने के 110 दिनों से 120 दिन में नवरंगा के फूल खिलने लगते हैं. इस में एक ही पौधे में बहुत सारे फूल लगते हैं.

कीटों की रोकथाम के लिए डायमेथियोट 30 ईसी दवा का छिड़काव समयसमय पर करते रहते हैं. फूलों की तोड़ाई का काम सुबह किया जाता है. फूलों पर पानी सींच कर उन्हें बांस की टोकरियों में पैक कर के बाहर भेजा जाता है. तोड़े गए फूलों को गीले कपड़े से ढक कर रखा जाता है. इन फूलों से आकर्षक गुलदस्ते और मालाएं बनाते हैं.

फूलों की खेती (Flower Farming)

5 लाख तक सालाना आमदनी : मौजूदा समय में उमाशंकर 1 एकड़ खेत में गेंदा, गुलाब, सेवंती वगैरह फूलों की खेती कर रहे हैं. फूल स्थानीय बाजारों में 30 से 50 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचने के साथ ही आर्डर पर बाहर भी भेजे जाते हैं. उन के परिवार के सदस्य फूलों की माला तैयार करते हैं, जो 5 रुपए से ले कर 20 रुपए में बिकती हैं.

आम दिनों में रोजाना तकरीबन 500 रुपए तक फूलों की बिक्री से आमदनी होती है, जो खास मौकों पर बढ़ कर 2 हजार रुपए तक हो जाती है. कई बार मांग ज्यादा होने पर वे गुलाब के फूल 100 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से नागपुर से मंगा कर 150 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बेच कर भी अतिरिक्त आमदनी कर लेते हैं.

1 एकड़ में की जा रही फूलों की खेती में साल भर में तकरीबन 1 लाख रुपए की लागत आती है और उस से उमाशंकर के परिवार को तकरीबन 5 लाख रुपए की आमदनी हो जाती है.

शादीब्याह में होती है अच्छी आमदनी : शादीब्याह के दौरान उमाशंकर फूलों से मंडप सजाने का काम भी करते हैं. विवाह मंडप के साथ जयमाला स्टेज सजाने का काम कर के वे रोजाना 5 से 20 हजार रुपए तक कमा लेते हैं. वे गांव के युवकों को भी रोजगार देते हैं.

कई बार तो शादी के सीजन में 4-5 जगहों पर मंडप सजाने का काम मिल जाता है. गांव के 2-3 युवकों को उन्होंने मंडप सजाने के काम में माहिर बना दिया है. काम ज्यादा होने पर वे गांव के इन युवकों की मदद ले कर उन्हें भी आमदनी कराते हैं.

इसी तरह जन्मदिन पार्टी, शादी की सालगिरह जैसे कार्यक्रमों के साथसाथ उन्हें सुहागरात की सेज सजाने का काम भी मिलता है. राजनीतिक या सार्वजनिक समारोहों में भी उन्हें फूलों की मालाएं और गुलदस्ते सप्लाई करने का आर्डर मिलता रहता है.

30 वर्षीय उमाशंकर कुशवाहा ने अपनी सूझबूझ से खेती को फायदे वाला काम साबित किया है. उमाशंकर से फूलों की खेती के में उन के मोबाइल नंबर 982694273 पर बात कर के जानकारी हासिल की जा सकती है.

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