बड़े शहरों में नारियल का पानी बेचने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है. देश के दक्षिणी राज्यों में तो नारियल की खेती सदियों पुरानी है, लेकिन अब दूसरे नए इलाकों में भी इसे बढ़ावा देने की सरकारी कोशिशें तेजी से चल रही हैं.

Coconutनारियल से नईनई चीजें बन रही हैं. नारियल का रकबा बढ़ाने व नर्सरी लगाने के लिए माली मदद व उम्दा किस्म की पौध दी जाती है. इसलिए खेती के साथसाथ नारियल के पेड़ उगा कर किसान दोहरी कमाई कर सकते हैं.

 

 

भरपूर पैदावार

दुनिया में सब से ज्यादा नारियल पैदा करने में भारत अब पहले नंबर पर है. 90 फीसदी नारियल केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश व कर्नाटक में होते हैं. इन के अलावा ओडि़सा, पश्चिमी बंगाल, लक्षद्वीप, गुजरात व असम में भी नारियल उगाए जाते हैं.

माहिरों के मुताबिक, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार व मध्य प्रदेश में भी नारियल की खेती की गुंजाइश है.

नारियल की अलगअलग किस्मों की पैदावार भी अलगअलग होती है. बौनी प्रजाति के पौधे अधिक पैदावार देते हैं. क्योंकि इन पौधों पर 3 साल बाद ही फल लगने शुरू हो जाते हैं जबकि सामान्य प्रजातियों पर 8 साल बाद फल लगने शुरू होते हैं.

Coconutनारियल के फलों की तुड़ाई का काम थोड़ा कठिन होता है इस के लिए पेड़ की ऊंचाई तक चढ़ना पड़ता है. नारियल के फल को पूरी तरह तैयार होने में तकरीबन 15 महीने का समय लगता है. लेकिन हरे पानी वाले नारियल लेने के लिए इन की तुड़ाई पहले ही की जाती है. नारियल पूरी तरह पकने पर पीला हो जाता है और पूरी तरह नारियल पकने के बाद नारियल में रेशे और तेल भरपूर मात्रा में मिलता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...