Home Garden | बागबानी का शौक हर किसी को होता है. यह शौक पूरा करने के लिए कुछ समय तो देना ही पड़ता है. हम अगर पूरे बाग को रंगबिरंगे फूलों से सजाएं, तो हमें पेड़पौधों और गमलों का ध्यान तो रखना ही पड़ेगा. ऐसा नहीं है कि सिर्फ 4-5 पौधे लगाए और पूरा बाग सज गया या सिर्फ गमले के बीच में पानी भर दिया तो हो गई बागबानी.

बाग लगाने के लिए उस की देखरेख भी जरूरी है. जरूरत पड़ने पर उस में खादों और कीटनाशकों का भी प्रयोग किया जाता है. किस तरह के बीज बोएं  कितनी धूप दिखाएं  कितना पानी और उर्वरक दें. बागबानी में इन सब बातों का ध्यान रखना पड़ता है.

बरसात के मौसम में जहां बालसम, गमफरीना, नवरंग व मुर्गकेश वगैरह के पौधे लगाए जा सकते हैं, तो वहीं सर्दी के मौसम में पैंजी, पिटुनिया, डहेलिया, गेंदा व गुलदाऊदी वगैरह के पौधे लगाए जा सकते हैं. इन के अलावा बारहमासी फूलों के पौधे जैसे गुड़हल, रात की रानी व बोगनवेलिया वगैरह भी लगाए जा सकते हैं. यह जरूरी नहीं है कि आप ढेरों पौधे लगाएं. आप उतने ही पौधे लगाएं, जिन की देखरेख आसानी से कर सकते हैं.

रंगबिरंगे फूल जो सितंबर से नवंबर तक खिलते हैं, वे कई तरह के होते हैं. उन में सेवंती और गेंदे के ढेर सारे विकल्प होते हैं. सितंबर से ले कर नवंबर के शुरुआती दिनों तक कभी भी इन्हें लगा सकते हैं.

यदि सिर्फ फूल वाले पौधे लगाना चाहते हैं, तो पिटूनिया, सालविया, स्वीट विलियम, स्वीट एलाइसम, चायना मोट, जीनिया, गुलमेहरी, गमफरीना, सूरजमुखी और डहेलिया जैसे पौधे चुन सकते हैं और यदि सजीले पौधों से बगीचे को सजाना है, तो कोलियस और इंबेशन लगाना बेहतर होगा.

कुछ पौधे जैसे मनीप्लांट, कैक्टस और ड्राइसीना इनडोर प्लांट हैं यानी हम ये पौधे छांव में, कमरे में या कहीं भी लगा सकते हैं. इन सब में मनीप्लांट आसानी से मिलने वाला, हमेशा हराभरा रहने वाला पौधा है. इस के हरे पत्तों पर हलके हरेसफेद धब्बे सुंदर लगते हैं.

ऐसा ही एक और इनडोर पौधा है कैक्ट्स. इस कांटेदार पौधे की भी देखभाल करनी पड़ती है. इसे लगाते समय मिट्टी में नीम की खली, गोबर की खाद और रेत बराबर मात्रा में मिलानी चाहिए. इसे काफी कम पानी देना पड़ता है. हर साल पौधे को निकाल कर उस की सड़ी जड़ें काट देनी चाहिए और फिर से गमले में लगा देना चाहिए. बहुत तेज धूप होने पर या तेज बरसात में पौधों को छाया में ही रखना बेहतर होता है. अपने समय में इन में फूल आते हैं, जिन की खूबसूरती देखते ही बनती है.

गेंदे के पौधे साल में 3 बार नवंबर, जनवरी और मईजून में लगा सकते हैं. इस तरह पूरे साल गेंदे के फूल मिल सकते हैं. यह कीड़ों से सुरक्षित रहता है. गेंदे की कई किस्में होती हैं, जैसे हजारा गेंदा, मेरी गोल्ड, बनारसी या जाफरानी.

यदि इस के फूलों को सुखा कर रख लें तो हम इस से अगली बार पौधे तैयार कर सकते हैं. असल में सूखा हुआ फूल बीज के लिए तैयार हो जाता है.

दूसरा फूल है गुड़हल का. इसे सितंबर से अक्तूबर में लगाना चाहिए. गुड़हल कई रंगों का होता है जैसे लाल, गहरा लाल, गुलाबी, बैगनी, नीला वगैरह. समयसमय पर इस में खाद डालते रहना चाहिए. इस की नियमित सिंचाई भी जरूरी है.

एक खूबसूरत सा पौधा है सूरजमुखी. इस के कई साइज होते हैं. बड़ा सूरजमुखी गोभी के फूल से भी बड़ा होता है. इस के बीजों से तेल भी निकाला जाता है. छोटा सूरजमुखी ढेर सारे पीले फूल देता है. इसे अप्रैल में लगाना चाहिए. यह घरों में बगीचे की शान बढ़ाता है.

एक और सुंदर दिखने वाला पौधा है जीनिया. यह 3 किस्मों में मिलता है. इस की छोटी किस्म पर्सियन कारपेट कहलाती है. इसे अगस्त या सितंबर में लगाना चाहिए ताकि इसे बरसाती कीड़ों से बचाया जा सके. इस के कागज जैसे रंगीन फूल पौधे पर कभी नहीं सूखते हैं.

एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण पौधा है तुलसी. यह तकरीबन हर घर में मिलता है. इस की 3 किस्में होती हैं रामा तुलसी, श्यामा तुलसी और बन तुलसी. इसे साल में कभी भी लगा सकते हैं. यह औषधीय गुणों का वाला पौधा है. यह वातावरण को शुद्ध रखता है. इस की पत्तियों को चबाने से अनगिनत बीमारियों से बचा जा सकता है.

एक और पौधा है डहेलिया. डहेलिया को क्यारियों और गमलों दोनों में उगाया जा सकता है. इसे उगाने के लिए पूरी तरह खुला स्थान चाहिए, जहां कम से कम 4 से 6 घंटे तक धूप आती हो.

पौधा लगाने की विधि

पौधा लगाने की सब से अच्छी विधि कटिंग द्वारा पौधा तैयार करना है. पुराने पौधों की शाखाओं के ऊपरी भाग से 8 सेंटीमीटर लंबी कटिंगें काट लें. उन को मोटी रेत या बदरपुर में 2 इंच की दूरी पर, डेढ़ इंच गहराई में लगाएं. लगाने के बाद 3 दिनों तक कटिंग लगाए गए गमलों को छायादार जगह पर रखें. उन से 15 दिनों के बाद जड़ें निकल आती हैं. इस के बाद ही इन्हें 10 से 12 इंच के गमलों में लगाते हैं. ये पौधे ज्यादा धूप या पानी से मुरझा जाएंगे, लिहाजा इस बात का खास ध्यान रखें.

यदि पौधों को गमलों में उगाना है, तो गमलों में 3 हिस्से मिट्टी व 1 भाग गोबर की खाद मिला कर भर दें. गमले का ऊपरी हिस्सा कम से कम 1 से डेढ़ इंच खाली रखें, जिस से पानी के लिए जगह मिल सके. 1 गमले में 1 ही पौधा रोपें. पौधे रोपने के तुरंत बाद पानी देना चाहिए. यदि पौधे क्यारी में लगाने हों, तो उन्हें 40-50 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपें. क्यारी को 10-12 इंच गहरा खोद लें. इस के बाद 100 ग्राम सुपर फास्फेट, 100 ग्राम सल्फेट पोटेशियम, 25 ग्राम मैग्नेशियम सल्फेट प्रति वर्गमीटर क्षेत्र के हिसाब से दें. साथ ही फूलों में चमक लाने के लिए खड़ी फसल में 1 चम्मच मैग्नेशियम सल्फेट को 10 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.

क्यारियां कंकड़पत्थर रहित होनी चाहिए. क्यारियों की मिट्टी में 5 किलोग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से गोबर की खाद जरूर मिलानी चाहिए.

अगर आप डहेलिया को गमलों में उगाना चाहते हैं, तो गमले कम से कम 12 से 14 इंच के लें. मिट्टी व गोबर की खाद की बराबर मात्रा को गमलों में भर दें. गमले पूरी तरह मिट्टी से न भरें. उन का ऊपरी हिस्सा कम से कम 2 से ढाई इंच खाली होना चाहिए, जिस से गमलों में पानी के लिए जगह रहे.

गरमी पड़ने पर हफ्ते में 2 बार पानी देने की जरूरत होती है. सर्दी के मौसम में 8 से 10 दिनों के अंतर पर पौधों को पानी देना चाहिए.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...