Nursery: नए जमाने के किसानों ने सब्जी उत्पादन बढ़ाने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल किया है, जिस से उन की माली हालत में सुधार हुआ है. इन नई तकनीकों में प्रो ट्रे में सब्जियों की पौध उगाना खास है.

उच्च तकनीक से सब्जियों की पौध तैयार करने से पौधों को वानस्पतिक तरीकों से संरक्षित वातावरण में विकसित किया जा सकता है, जिस से रोगरहित उच्च गुणवता वाली पौध तैयार की जा सकती है.

उच्च तकनीकी नर्सरी लगाने के लाभ

* बीज अंकुरण अच्छा होता है.

* ट्रे में पौधों के लिए काफी जगह होने से सभी पौधों का एकसमान विकास होता है.

* महंगे व हाइब्रीड बीजों का अच्छा इस्तेमाल.

* नर्सरी में कीट, बीमारी व खरपतवार की समस्या कम रहती है.

* पौली हाउस में सही वातावरण होने की वजह से बीज का जमाव व पौधों का विकास बहुत अच्छा होता है.

* प्रो ट्रे में पौधों को रोपाई के लिए आसानी से कैविटी से निकाल कर मिट्टी में लगा देते हैं. पौधों की जड़ें आसानी से मिट्टी में लग जाती हैं.

* प्रो ट्रे विधि से तैयार पौधे लगाने से फसल की बढ़वार समान होती है.

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प्रो ट्रे में नर्सरी तैयार करना

मिट्टी रहित नर्सरी तैयार करने के लिए निम्नलिखित चीजों की जरूरत होती है:

प्रो ट्रे  : पौलीप्रोपेलीन से बनी हुई विभिन्न कैविटी वाली ट्रे बाजार में मिलती हैं, पर आमतौर पर सब्जी की नर्सरी लगाने के लिए 98 कैविटी युक्त ट्रे का इस्तेमाल किया जाता है. 1 प्रो ट्रे को 4-5 बार इस्तेमाल किया जा सकता है.

कोकोपीट : यह पूर्ण विघटित धुला हुआ निर्जीमिक्रत कोयर इंडस्ट्री का बाई प्रोडक्ट है.

परलाइट : यह हलकी एल्यूमिनियम सिलिकेट चट्टानों का ज्यादा तापमान पर गरम किया हुआ पौपकार्न की तरह फूला हुआ पदार्थ है. इस का इस्तेमाल वायु संचार व जलधारण कूवत को बढ़ाता है.

वेर्मीकुलाइट : यह एक माइका है, इस में कैल्शियम व मैग्नीशियम तत्त्व भी पाए जाते हैं.

नर्सरी उगाने की विधि

* कोकोपीट नर्सरी लगाने से करीब 12 घंटे पहले पानी में भिगो लेना चाहिए और फालतू पानी को निकलने देना चाहिए.

* आयतन के हिसाब से 3:1:1 के अनुपात में कोकोपीट, परलाइट, वेर्मीकुलाइट को ले कर अच्छी तरह मिला देना चाहिए. इन चीजों को कभी ग्राम या किलोग्राम में न लें. इन्हें केवल आयतन (जैसे 3 बाल्टी कोकोपीट, 1 बाल्टी परलाइट व 1 बाल्टी वर्मीकुलाइट) के मुताबिक लें.

* मिश्रण को अच्छी तरह प्रो ट्रे की कैविटी में भर देना चाहिए.

* मिश्रण से भरी ट्रे को फुहारे से थोड़ा सा सींचना चाहिए.

* इस के बाद हर एक कैविटी में बीज के आकार के आधार पर गड्ढे बना कर उपचारित बीजों की बोआई करनी चाहिए.

* 1 कैविटी में 1 ही बीज लगाया जाता है. बड़े क्षेत्र में व्यावसायिक पौध तैयार करने के लिए कई तरह की आटोमैटिक बोआई मशीनें मौजूद हैं.

* बोआई के तुरंत बाद कैविटी की ऊपरी परत (जिस में बीज बोया गया है) को वर्मीकुलाइट की परत से (करीब आधा सेंटीमीटर) ढक देना चाहिए. इस से हरी शैवाल की बढ़वार नहीं होती है व वायु संचार भी अच्छी तरह होता है.

* फिर एक के ऊपर एक ट्रे को रख कर उन्हें पौलीथीन की शीट से ढक देना चाहिए ताकि प्रो ट्रे में 100 फीसदी नमी बनी रहे, जिस से कि बीजों का जमाव अच्छा हो.

* बीजों का अंकुरण होने पर ट्रे को अलगअलग कर देना चाहिए.

* करीब 4-7 दिनों में बीजों का जमाव हो जाता है. बीज के जमाव में लगने वाला समय फसल के प्रकार पर निर्भर करता है.

* अंकुरण होने पर प्रो ट्रे को अलगअलग कर के 15 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियों पर 50 फीसदी छायाघर में या वातावरण नियंत्रित पौलीहाउस में रख देना चाहिए.

* जड़ सड़न व उकटा के प्रकोप से बचने के लिए फफूंदनाशी दवा (कापर आक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर या कार्बेंडाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर) का इस्तेमाल करें.

* नर्सरी का एक चरण पूरा होने के बाद जब प्रो ट्रे खाली हो जाती हैं, तब उन को अच्छी तरह से साफ पानी से धो देना चाहिए. फिर प्रो ट्रे को रोगाणु रहित करने के लिए कपास के छोटे से टुकड़े को फोर्मेलीन घोल में डुबो कर हर कैविटी को अच्छी तरह साफ करना चाहिए. अच्छी तरह सूखने के बाद इन्हें एक के ऊपर एक रख कर पौलीथीन शीट से अच्छी तरह पैक कर के अगली बोआई के लिए रख देना चाहिए.

प्रो ट्रे नर्सरी के लिए उर्वरक

जब पौधों  में 2 पत्तियां आ जाएं तब 5 ग्राम एनपीके 19:19:19 उर्वरक प्रति 10 लीटर पानी के हिसाब से घोल बना कर रोजाना सिंचाई के साथ देना चाहिए. सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की खुराक के लिए भिन्नभिन्न प्रकार के मल्टी सूक्ष्म पोषक तत्त्व मिश्रण मिलते हैं, जैसे मैक्स व टेकनोवा 2 वगैरह. इन का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बना कर हफ्ते में 2 बार छिड़काव करना चाहिए. इस से पौधों को अच्छा पोषण मिलता है व पौधों का विकास अच्छा होता है, जिस से ज्यादा पैदावार होती है.

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सिंचाई

सर्दी के मौसम में दिन में 2 बार व गरमी में 3 बार सिंचाई करनी चाहिए. सिंचाई के पानी की गुणवत्ता जानने के लिए निम्नलिखित 3 मापक हैं:

पीएच : सिंचाई के पानी का पीएच 6.4-7 तक होना चाहिए. पीएच का सुधार नाइट्रिक एसिड, फास्फोरिक एसिड या एचसीएल जैसे रसायनों से सिंचाई के पानी को उपचारित कर के किया जाता है.

टीडीएस : टीडीएस पानी में पाए जाने वाले घुलनशील पदार्थों का मापक होता है.

नमक की मात्रा : नमक की मात्रा 1-2 डेसी साइमन होनी चाहिए. साफ पानी से सिंचाई करने से पौधों का विकास अच्छा होता है और अधिक पैदावार हासिल होती है.

पौधों में तनाव देना

प्रो ट्रे  नर्सरी उत्पादन में कृत्रिम रूप से तनाव देना बहुत खास काम है. पौधों की खेत में रोपाई से पहले उन्हें तनाव देने से पौधे खेत में आसानी से पनपते हैं. तनाव के लिए पौधों की 3-4 दिनों तक थोड़ाथोड़ा मुरझाने पर रोकरोक कर सिंचाई की जाती है, जिस से पौधे मजबूत हो जाते हैं.

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