मंडला : जिले के विकासखंड मोहगांव के अंतर्गत ग्राम पंचायत कौवाडोंगरी के सकरी में स्वयंसहायता समूह सफेद पलाश की दीदियों ने भूमिहीन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और बच्चों में व्याप्त कुपोषण को मात देने के लिए सामुदायिक पोषण वाटिकाएं तैयार की गई हैं, जिस से न केवल महिलाओं की आर्थिक स्तर में सुधार आएगा, बल्कि बच्चे भी कुपोषण से मुक्त हो सकेंगे. कुपोषित बच्चों के स्वजनों को वाटिका से पौष्टिक हरी सब्जी का लाभ मिल सके.

जल कुंड का निर्माण कराया गया, जिस से सिंचाई में सहायता हो सकी

समूह की दीदियों ने बताया कि साल 2022 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत सामुदायिक पोषण वाटिका उपयोजना के तहत गांव सकरी में सहायता समूह की 15 महिलाओं ने 5 एकड़ सामुदायिक जमीन पर सामुदायिक पोषण वाटिका के निर्माण को स्वीकृत किया गया, जिस का उद्देश्य गांव की सामुदायिक बंजर भूमि को पहचान कर उस के भूमि प्रबंधक के सिद्धांत से उपयोग में लाने का प्रयास करना है.

समूह की दीदियों ने बताया कि इस बंजर भूमि पर मनरेगा के सहयोग से फलदार पौधारोपण स्वीकृत कराया गया और औसतन 200 आम,  180 नींबू, 150 अमरूद, 100 बांस और 80 नीम के पौधे लगाए गए. पौधों के बचाव के लिए सीपीटी की खुदाई भी की गई. मनरेगा के सहयोग से इस भूमि पर जल संग्रहण के अंतर्गत आधुनिक खेती से महिलाओं की आय में वृद्धि हुई.

सामुदायिक पोषण वाटिका का सफेद पलाश महिला संगठन के 15 सदस्यी स्वसहायता समूह को सौंपा जाएगा. समूह की दीदियों ने बताया कि मनरेगा के सहयोग से आधुनिक खेती की जा रही है. तरबूज, हलदी, अदरक आदि की मल्टीलेयर आधुनिक खेती की जा रही है.

15 सदस्यी स्वसहायता समूह की दीदियों ने खेती में उपयोग करने के स्वयं जैविक खाद बनाते हैं, जिस में केंचुआ खाद, यूनिट और गोबर खाद का भी प्रयोग फसल में किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि आधुनिक खेती से औसतन 30,000 से 40,000 रुपए की कमाई हो जाती है. साथ ही, चना, मटर, मेथी भाजी, टमाटर, भाटा आदि खेती से उन की आय में इजाफा और पोषण में बढ़ोतरी हुई है. सामुदायिक पोषण वाटिका से गांव वालों को रसायन से मुख्य जैविक तरीके से तैयार पौष्टिक हरी सब्जी व अन्य फसल का लाभ मिल पाया है, जिस से उन का स्वास्थ भी बेहतर हो पाया है.

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