पपीता न केवल आसानी से उगाया जाने वाला फल है, बल्कि जल्दी फायदा देने वाला फल भी है. यह पोषक तत्त्व से भरपूर और लोकप्रिय है.
पपीता सब से कम समय में फल देने वाला पौधा है, इसलिए कोई भी इसे लगाना पसंद करता है. पपीते की उन्नत खेती के बारे में प्रो. रवि प्रकाश मौर्य से बात हुई. उन्होंने बड़े ही सरल तरीके से पपीते की खेती करने के बारे में जानकारी दी.
पपीता न केवल आसानी से उगाया जाने वाला फल है, बल्कि जल्दी फायदा देने वाला फल भी है. यह पोषक तत्त्व से भरपूर और लोकप्रिय है. पपीता में कई पाचक एंजाइम भी पाए जाते हैं. इस के ताजे फलों का सेवन करने से लंबी कब्ज की बीमारी भी दूर की जा सकती है.
उन्होंने बताया कि पपीते की अच्छी खेती गरम नमीयुक्त जलवायु में की जा सकती है. इसे अधिकतम 38 डिगरी सैल्सियस से 44 डिगरी सैल्सियस तक तापमान होने पर उगाया जा सकता है. न्यूनतम तापमान 5 डिगरी सैल्सियस से कम नहीं होना चाहिए.
लू और पाले से पपीते को नुकसान होता है. इन से बचने के लिए खेत के उत्तरी पश्चिम में हवारोधक पेड़ लगाने चाहिए. पाला पड़ने की आशंका हो, तो खेत में रात्रि के अंतिम पहर में धुआं कर के व सिंचाई भी करते रहना चाहिए.
भूमि व रोपाई
पपीते की अच्छी उपज लेने के लिए जमीन उपजाऊ हो और खेत को अच्छी तरह जोत कर समतल बनाना चाहिए और जिस में जल निकास अच्छा हो, भूमि का हलका ढाल हो, तो पपीते की खेती उत्तम होती है.
गड्ढे तैयार करना
मई महीने में 2 ङ्ग 2 मीटर की दूरी पर 50 सैंटीमीटर लंबा, 50 सैंटीमीटर चौड़ा और 50 सैंटीमीटर गहरा गड्ढा बनाना चाहिए व महीनेभर के लिए खुला छोड़ देना चाहिए, जिस से मिट्टी में जो नुकसानदायक कीट आदि हैं, वे मर जाएं.
इन गड्ढों में एक महीने बाद तकरीबन 10 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद, एक किलोग्राम नीम की खली के हिसाब से हर गड्ढे में अच्छी तरह मिट्टी में मिला कर 15 सैंटीमीटर की ऊंचाई तक भर देना चाहिए.
पपीते की उन्नत किस्में
पपीते से अच्छी उपज मिले, इस के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए. रैड लेडी, पूसा मैजेस्टी, पूसा जौइंट, वाशिंगटन, हनी ड्यू, पूसा ड्वार्फ, पूसा डैलीसियस, पूसा नन्हा, ताईवान वगैरह खास किस्में हैं.
बीज की दर
एक हेक्टेयर खेत के लिए 500 ग्राम से एक किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. एक हेक्टेयर खेत में प्रति गड्ढे 3 पौधे लगाने पर 7,500 पौध संख्या लगेगी. एक ग्राम में तकरीबन 20 बीजों की संख्या होती है.
लगाने का उचित समय और तरीका
पपीते के पौधे की पहले नर्सरी तैयार की जाती है. इस के लिए 15 सैंटीमीटर ऊंची क्यारियों में 15-15 सैंटीमीटर की दूरी पर बीजों की बोआई जुलाई महीने में करें. जब पौधे 25 सैंटीमीटर के हो जाएं, तो पहले से तैयार किए गए हर गड्ढे में 3-3 पौधे त्रिभुजाकार सितंबर महीने में लगाएं.
करें नर पौधों को अलग
पपीते के पौधे 90 से 100 दिन के अंदर फूलने लगते हैं और नर फूल छोटेछोटे गुच्छों में लंबे डंठल वाले होते हैं. नर पौधों पर पुष्प 1 से 1.3 मीटर के लंबे तने पर झूलते हुए और छोटे होते हैं. प्रति 100 मादा पौधों के लिए 5 से 10 नर पौधे छोड़ कर बाकी नर पौधों को उखाड़ देना चाहिए. मादा पुष्प पीले रंग के 2.5 सैंटीमीटर लंबे और तने के नजदीक होते हैं.
निराई, गुड़ाई और सिंचाई
गरमी में 4 से 7 दिन और सर्दी में 10 से 15 दिन के अंतर पर सिंचाई करना चाहिए. पाले की चेतावनी पर तुरंत सिंचाई करें. तीसरी सिंचाई के बाद निराईगुड़ाई करें. जड़ों और तने को नुकसान न हो.
फलों को तोड़ना
पौधे लगाने के 9 से 10 सैंटीमीटर बाद फल तोड़ने लायक हो जाते हैं. फलों का रंग गहरा हरे रंग से बदल कर हलका पीला होने लगता है और फलों पर नाखून लगने से दूध की जगह पानी और तरल जैसा निकलता हो, तो समझना चाहिए कि फल पक गया होगा. फलों को सावधानी से तोड़ लेना चाहिए.
उपज और मुनाफा
अब बात आती है किसानों को मिलने वाली आमदनी पर. अगर किसान ने सही तरीके से पपीते की खेती की है, तो प्रति हेक्टेयर पपीते का उत्पादन 350-400 क्विंटल होता है. यदि 1,500 रुपए प्रति क्विंटल भी कीमत मिले, तो किसानों को प्रति हेक्टेयर 3 लाख, 40 हजार रुपए का शुद्ध मुनाफा हासिल हो सकता है.