अमरूद सेहत के लिए काफी फायदेमंद फल है. इस में विटामिन ‘सही’ के अलावा विटामिन ‘ए’ और विटामिन बी भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इस से जैम, जैली, नैक्टर, बरफी वगैरह चीजें तैयार की जाती हैं. इस की सफल खेती अनेक प्रकार की मिट्टी और जलवायु में की जा सकती है. जाड़े के मौसम में यह इतना अधिक और सस्ता मिलता है कि लोग इसे गरीबों का सेब कहते हैं.

प्रमुख कीट व उपचार

फल मक्खी : छोटी अवस्था में ही यह मक्खी उस पर बैठ कर अपना अंडा देती है और जो बाद में बड़ी हो कर सूंड़ी का रूप ले लेती है. अमरूद के फल को खराब कर देती है, जिस से फल सड़ कर गिर जाते हैं.

उपचार : मिथाइल यूजोनिल ट्रेप (100 मिलीलिटर मिश्रण में 0.1 फीसदी मिथाइल यूजोनिल व 0.1 फीसदी मैलाथियान) पेड़ों पर 5 से 6 फुट ऊंचाई पर लगाएं. 1 हेक्टेयर क्षेत्र में 10 ट्रेप सही होते हैं. ट्रेप के मिश्रण को प्रति सप्ताह बदल दें.

फल मक्खी ट्रेप से विशेष प्रकार की मक्खी को आकर्षित करने वाली गंध आती है. इस को कली से फल बनने के समय पर ही बगीचों में सही दूरी पर लगा देना चाहिए. शिरा या शक्कर 100 ग्राम के एक लिटर पानी के घोल में 10 मिलीलिटर 350 मैलाथियान 50 ईसी मिला कर घोल तैयार कर 50 से 100 मिलीलिटर प्रति मिट्टी के प्याले में डाल कर जगहजगह पेड़ पर टांग दें. मैलाथियान 50 ईसी का 1 मिलीलिटर पानी का घोल बना कर छिड़काव करें.

छाल भक्षक कीट : इस कीट के प्रकोप का अंदाजा पौधों पर इस की पहचान चायनुमा अपशिष्ट, लकड़ी के टुकड़े और अनियमित सुरंग की मौजूदगी से होती है. इस की लटें अमरूद की छाल, शाखाओं और विशेषकर जहां 2 शाखाओं का जुड़ाव होता है, वहां पर छेद कर के अंदर छिपी रहती हैं और रेशमी धागों से लकड़ी के बुरादों व अपने मल से बने रक्षक आवरण के नीचे खाती हुई टेढ़ीमेढ़ी सुरंग बना देते हैं. प्रभावित पौधा कमजोर और शाखाएं सूख जाती हैं.

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