घर में लगी पोषण वाटिका या गृह वाटिका या फिर रसोईघर बाग पौष्टिक आाहार पाने का एक आसान साधन है, जिस में विविध प्रकार के मौसमी फल तथा विविध प्रकार की सब्जियों व फलों को एक सुनियोजित फसलचक्र और प्रबंधन विधि के द्वारा उगाया जाता है.
आमतौर पर पोषण वाटिका घर के आसपास बनाई गई एक ऐसी जगह होती है, जहां पारिवारिक श्रम से विविध प्रकार के मौसमी फल तथा विभिन्न सब्जियां उगाई जाती हैं, जिस से परिवार की वार्षिक पोषण आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके.
पोषण वाटिका का आकार
अलगअलग हालात, जैसे कि जगह, परिवार में सदस्यों की संख्या, रुचि व समय की उपलब्धता पर निर्भर करता है. लगातार फसलचक्र, सघन बागबानी और अंत:फसल खेती को अपनाते हुए एक औसत परिवार, जिस में कुल 5 सदस्य हों, के लिए औसतन 200 वर्गमीटर जमीन काफी है.
पोषण वाटिका के लिए उचित स्थान
* घर के निकट.
* सूरज की रोशनी अच्छी तरह से मिले.
* दोमट मिट्टी सही.
* पर्याप्त सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता.
पोषण वाटिका की बनावट
आदर्श गृह वाटिका के लिए 200 वर्गमीटर क्षेत्र में बहुवर्षीय पौधों को वाटिका के उस तरफ लगाना चाहिए, जिस से उन पौधों की अन्य दूसरे पौधों पर छाया न पड़ सके. इस के साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि ये पौधे एकवर्षीय सब्जियों के फसलचक्र और उन के पोषक तत्त्वों की मात्रा में बाधा न डालें.
जमीन की तैयारी व क्यारी बनाना
* फावड़ा या कस्सी से मिट्टी को अच्छी तरह भुरभुरा कर 4 से 5 फुट चौड़ी क्यारी बना लें. क्यारी पूरबपश्चिम दिशा में रखें.
* दोनों क्यारियों के बीच 1 फुट की दूरी रखें.
* प्रत्येक क्यारी में गोबर या केचुआं खाद डाल कर मिला लें.
* अतिरिक्त जल निकासी हेतु चारों तरफ से 1 फुट चौड़ी और 1 फुट गहरी नाली बना लें.
सब्जियों का चयन
सब्जियों का चयन करते समय फसलचक्र अपनाना चाहिए. सब्जियों की किस्मों का चुनाव करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे उन्नत, स्वस्थ्य और प्रतिरोधी हों. किस्में अगर देशी हों तो हमें अगले मौसम में बीज खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मौसम के अनुसार सब्जियों को निम्न प्रकार बांटा जा सकता है :
खरीफ : लौकी, तोरई, कद्दू, टिंडा, खीरा, करेला, भिंडी, टमाटर, बैगन, मिर्च, पालक, धनिया आदि.
रबी : गोभी, ब्रोकली, पत्तागोभी, टमाटर, बैगन, मिर्च, पालक, मूली, मेथी, सोया, चौलाई, धनिया, सेम, मटर, राजमा, चुकंदर, गाजर, लहसुन, शलजम, प्याज आदि.
जायद : लौकी, तोरई, कद्दू, खीरा, ककड़ी, करेला, टिंडा, भिंड़ी, टमाटर, बैगन, मिर्च, पालक, धनिया, चौलाई आदि. सब्जियों के साथ आम, अमरूद, सहजन, किन्नू, संतरा, पपीता, करौंदा, अनार, नीबू, आंवला, चीकू, ड्रैगनफ्रूट आदि फलदार पौधे लगाए जा सकते हैं.
भूमि की तैयारी
* जिस स्थान पर पोषण वाटिका लगानी हो, वहां की मृदा में जल व वायु का प्रवाह अच्छा होना चाहिए.
* मृदा जितनी भुरभुरी, कार्बनिक खाद व जीवाश्म तत्त्वों से भरपूर होगी, पैदावार भी उतनी ही अच्छी मिलेगी.
* गमले तैयार करते समय भी कस्सी या खुरपी से मृदा अच्छी तरह भुरभुरी कर ले गोबर की खाद मिला कर गमले तैयार कर लेने चाहिए.
* जिन लोगों के पास घर पर खुला स्थान नहीं है, वे अपनी छत पर सब्जियां उगा सकते हैं.
* आजकल बाजार में अलगअलग आकार के प्लास्टिक बैग, गमले, ट्रे उपलब्ध हैं जो इस काम में प्रयोग किए जा सकते हैं. सीमेंट व प्लास्टिक के गमले, कबाड़ में अनुपयोगी चीजें जैसे बालटी, प्लास्टिक के कट्टे, ट्रे, मटकियां, बोतल आदि का भी उपयोग कर सकते हैं. इन में बराबर मात्रा में मिट्टी व कंपोस्ट का मिश्रण भर कर सब्जियों का रोपण व बिजाई कर सकते हैं.
वाटिका में पौधों की सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण एवं खाद और उर्वरक प्रबंधन
* आमतौर सब्जियों की बोआई 2 तरीकों से की जा सकती है, पौधशाला तैयार कर के (टमाटर, बैगन, मिर्च, प्याज, गोभीवर्गीय सब्जियां, सलाद) व सीधी बोआई से (खीरावर्गीय सब्जियां, मूली, मटर, भिंडी, सेम, पालक, इत्यादि).
* कीट एवं रोग प्रबंध पोषण वाटिका से अस्वस्थ पौधों को तुरंत निकाल कर नष्ट कर दें. फसलचक्र अपनाना लाभदायक होता है. बोआई के लिए प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें. स्वस्थ पौधशाला तैयार करें.
* गार्डन को साफ रखें. खरपतवार निकालते रहें. जब भी पोषण वाटिका या गृह वाटिका में खरपतवार दिखें, तो हाथ से निकाल देना चाहिए. प्लास्टिक पलवार लगाने से भी खरपतवार की रोकथाम होती है और मृदा में नमी बराबर रहती है तथा अतिआवश्यक होने पर पौध संरक्षण रसायनों के स्थान पर जैविक कीटनाशकों जैसे जीवामृत का ही प्रयोग करें.
* खाद व उर्वरक का अच्छी पौदावार प्राप्त करने में अधिक महत्व है. इस के लिए आवश्यक है कि मृदा में कार्बनिक खाद का प्रयोग हो. यह खाद मृदा की दशा सुधारती है व पौधों को आवश्यक पोषक तत्त्वों की पूर्ति भी करती है. इस के लिए गृहवाटिका के एक कोने में कंपोस्ट खाद का भी निर्माण भी किया जा सकता है.
* खाद में पोषक तत्त्वों की वृद्धि के लिए, संभव हो तो, केंचुओं द्वारा तैयार वर्मीकंपोस्ट इकाई की स्थापना कर वर्मीकंपोस्ट का उपयोग कर सकते हैं.
सब्जियों कर तुड़ाई
तुड़ाई की अवस्था फसल के स्वभाव पर निर्भर करती है. उदाहरण के लिए लौकी, करेला, टिंडा, भिंडी, तोरई आदि को कच्ची अवस्था पर तरबूज, खरबूजा, टमाटर आदि को पकने पर तोड़ा जाता है
पोषण वाटिका के मुख्य लाभ
पोषण वाटिका से परिवार, पड़ोसियों व रिश्तेदारों को तरोताजा हवा, प्रोटीन, खनिज और विटामिन से युक्त फल, फूल व सब्जियां प्राप्त होती हैं. इस के साथ ही परिवार के हर सदस्य द्वारा बगिया में काम करने से शारीरिक व्यायाम भी होता है. इस से परिवार के सदस्य स्वस्थ्य व प्रसन्न रहते हैं.
स्वयं की मेहनत एवं पसीने से उपजी हरीभरी तरोताजा सब्जियों को देख कर सभी का तन मन प्रफुल्लित होगा. इस के अलावा सब्जियां खरीदने के लिए बाजार में जाने का बहुमूल्य समय भी बच जाता है.
वास्तव में स्वयं की देखरेख व मेहनत से पैदा की गई सब्जियों का स्वाद और मजा कुछ और ही होता है. इस प्रकार पोषण वाटिका स्थापित करना परिवार के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए बुद्धिमत्तापूर्ण कदम साबित होगा.