आम की खेती का लाभ  मुख्य रूप से समय पर बाग में किए जाने वाले विभिन्न खेती के कामों पर निर्भर करता है. समय से खेती के काम या गतिविधियां न करने से बागबान को भारी नुकसान हो सकता है, जो  लाभहीन उद्यम हो कर रह जाता है.

बागबान आम की तोड़ाई कर बेच कर या खुद आम खा कर अकसर आम की बगिया को भूल जाते हैं कि उस के लिए भी कुछ करना है या नहीं, जिस ने मीठे फल दिए.

याद रखें, फल की तुड़ाई के बाद से ले कर मंजर के आने तक क्याक्या किया जाना चाहिए, इन सिफारिशों को जब अपनाएंगे, तो निश्चित रूप से उत्पादों की उत्पादकता, गुणवत्ता के साथसाथ शुद्ध रिटर्न में वृद्धि करने में मदद मिलेगी.

गहरी जुताई और उर्वरक : फलों की तुड़ाई के बाद बाग की अच्छी तरह से गहरी जुताई करनी चाहिए. इस के बाद बाग  से खरपतवार निकाल दें. उस के बाद 10 साल या 10 साल से बड़े आम के पेड़ों के लिए यूरिया 2.20 किलोग्राम, सिंगल सुपर फास्फोरस 3.12 किलोग्राम और म्यूरेट औफ पोटाश 1.73 किलोग्राम प्रति पेड़ देना चाहिए. इसी के साथ 80 से 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर या कंपोस्ट खाद भी देनी चाहिए.

खाद व उर्वरक देने के लिए पेड़ के मुख्य तने से 2 मीटर की दूरी पर 25 सैंटीमीटर चौड़ा व 25 सैंटीमीटर गहरा घेरा पेड़ के चारों तरफ खोद दें. इस के बाद आधी मिट्टी निकाल कर अलग करने के बाद उस में सभी खाद व उर्वरक मिलाने के बाद उसे घेरे में भर देते हैं, इस के बाद शेष बची मिट्टी से घेरे को भर देते हैं, उस के बाद सिंचाई कर देनी चाहिए.

कीट प्रबंधन :  जहां नमी ज्यादा होती है, वहां शूट गाल कीट की एक विकट समस्या खड़ी हो जाती है. इस कीट के नियंत्रण के लिए जुलाई व अगस्त का महीना बहुत महत्त्वपूर्ण है. अगस्त के मध्य में डाईमेथोएट 30 ईसी 2 मिलीलिटर को प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.

बाग में मकड़ी के जाले को साफ करते रहना चाहिए और सूखे से प्रभावित हिस्से को काट कर जला देना चाहिए.

रोग प्रबंधन : अधिक वर्षा व नमी ज्यादा होने की वजह से लाल जंग रोग (रैड रुस्ट) और एंथ्रेक्नोज रोग ज्यादा देखने को मिलता है. इस के नियंत्रण के लिए कौपरऔक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें. सितंबर के महीने में डाईमेथोएट (2 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी) का दोबारा छिड़काव करें.

अक्तूबर के महीने के दौरान डाईबैक रोग के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं. इस रोग के प्रबंधन के लिए जरूरी है कि जहां तक टहनी सूख गई है, उस के आगे 5-10 सैंटीमीटर हरे हिस्से तक टहनी की कटाईछंटाई कर के उसी दिन कौपरऔक्सीक्लोराइड (3 ग्राम प्रति लिटर पानी) का छिड़काव करें और 10-15 दिन के अंतराल पर एक छिड़काव दोबारा करें.

आम के पेड़ से गोंद निकलने की भी एक बड़ी समस्या है. इस के नियंत्रण के लिए सतह को साफ करें और प्रभावित हिस्से पर बोर्डो पेस्ट लगाएं या प्रति पेड़ 200-400 ग्राम कौपर सल्फेट पेड़ की उम्र के हिसाब से जड़ के चारों ओर डालना उपयोगी होता है.

अक्तूबरनवंबर महीने के दौरान डाईबैक के लक्षण आम में दिखाई देने लगते हैं, इसलिए 5-10 सैंटीमीटर हरे भाग में मृत लकडि़यों की छंटाई की सलाह दी जाती है और आम के पेड़ों को सूखने या मरने से बचाने के लिए 15 दिनों के अंतराल पर कौपरऔक्सीक्लोराइड (3 ग्राम/लिटर पानी) का 2 बार छिड़काव किया जाता है. दिसंबर माह में बाग की हलकी जुताई करें और बाग से खरपतवार निकाल दें.

इस महीने के अंत तक मिली बग के नियंत्रण के लिए आम के पेड़ की बैडिंग की व्यवस्था करें. 25-30 सैंटीमीटर की चौड़ाई वाली एक अल्केथेन शीट (400 गेज) को 30-40 सैमी. की ऊंचाई पर पेड़ के तने के चारों ओर लपेटा जाना चाहिए. इस शीट के दोनों छोर पर बांधा जाना चाहिए और पेड़ पर चढ़ने के लिए मिली बग कीट को रोकने के लिए निचले सिरे पर ग्रीस लगाया जाना चाहिए.

दिसंबर माह में छाल खाने वाले और मुख्य तने में छेद (ट्रंक बोरिंग) कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है. पहले छेदों को पहचानें और उस को साफ करें. इन छेदों में डाईक्लोरवास (1 मिलीलिटर दवा प्रति 2 लिटर पानी) का इंजैक्शन लगाएं. कीटनाशक डालने के बाद इन छेदों को वैक्स या गीली मिट्टी से बंद कर देना चाहिए.

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