भारत में फलदार वृक्षों की बागबानी में सर्वाधिक आम की ही बागबानी की जाती रही है. लेकिन आम की बागबानी शुरू करने के लिए जरूरत होती है अधिक पैदावार देने वाली अच्छी प्रजाति के आम के पौधों की. ये पौधे उद्यान विभाग की नर्सरी या प्राइवेट नर्सरियों से खरीद कर लाते हैं, जि सके लिए आम की किस्मों के अनुसार 30 रुपए से ले कर 500 रुपए प्रति पौधों की दर से भुगतान कर के खरीदना पड़ता है.
अगर हमारे किसान स्वयं आम की प्रजाजियों की नर्सरी तैयार कर बागबानी के लिए उपयोग में लाएं, तो उन्हें विश्वसनीय प्रजाति के साथ अच्छे उत्पादन देने वाले पौधे कम लागत में प्राप्त हो सकते हैं. इसी के साथ आम की नर्सरी को कारोबारी स्तर पर तैयार कर अन्य किसानों में बेच कर अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है.
आम की नर्सरी तैयार करने की सब से उपयुक्त कलम विधि होती है, क्योंकि इस विधि से हम जिस प्रजाति के पौधों को तैयार करना चाहते हैं, वह कम समय और कम लागत में तैयार हो जाती है. साथ ही, पौधे में फल भी जल्दी आना शुरू हो जाता है. इस के लिए जरूरत होती है कि जिस प्रजाति के पौधे तैयार करने हों, उस प्रजाति के 5-6 साल पुराने पौधे आप के पास लगे हों. इन्हीं पुराने पौधों के कल्ले को कलम कर बीज से तैयार पौधों में संवर्धित किया जाता है. कलम से आम की नर्सरी तैयार करने के लिए निम्न तरीके अपनाने पड़ते हैं :
आम की गुठलियों से पौध तैयार करना
आम से कलम विधि से नर्सरी तैयार करने के लिए बीजू पौधों की जरूरत पड़ती है, जिस के लिए आम की गुठलियों को जमीन में रोप कर तैयार किया जाता है.
बीज से पौध तैयार करने के लिए भूमि के चयन पर ध्यान देना जरूरी होता है. इस के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, जिस में गोबर की सड़ी खाद या उपलब्धता के अनुसार वर्मी कंपोस्ट मिला कर मिट्टी को भुरभुरी बना लेते हैं. इस में यह भी ध्यान देना होता है कि जिस स्थान पर हम आम की गुठलियों को नर्सरी में डाल रहे हैं, वहां की जमीन समतल व ऊंची हो, जहां बरसात का पानी न लगे.
नर्सरी में आम की गुठलियों से पौध तैयार करने के लिए हमें देशी प्रजाति के बीजों की आवश्यकता पड़ती है, जो हमें जिला उद्यान विभाग या लखनऊ के मलीहाबाद के बीज उपलब्ध कराने वाली फर्मों से मिल सकते हैं.
देशी आम की गुठलियां, जिन्हें हम पपैया कहते हैं, को जुलाई के प्रथम सप्ताह से ले कर अगस्त के प्रथम सप्ताह तक 8X8 फुट की क्यारियां बना कर डालनी चाहिए. ध्यान रखें कि क्यांरियों में डाली जाने वाली गुठलियां मिट्टी में दबने न पाए, क्योंकि इस से पौध के स्थान बदलने पर जड़ के टूटने का डर रहता है. इसलिए गुठलियों को क्यारी में डालने के बाद उन को गोबर की खाद व आम की पत्तियों से ढकाई कर देनी चाहिए.
नर्सरी में डाली गई गुठलियों का जमाव 15-20 दिनों में हो जाता है. वर्तमान में गुठलियों को पौली बैग में पहले से ही डाल कर उगाया जाने लगा है. इस से अब पौधों को ट्रांसप्लांट करने के दौरान होने वाली क्षति में कमी आ गई है.
पौधो की ट्रांस प्लांटिंग
जब क्यारी के आम के पौधे 25-35 दिन के हो जाएं, तो इस की ट्रांस प्लांटिंग (पौधे का स्थान परिवर्तन) का काम किया जाता है, अन्यथा पोपैया से गुठली की जड़ टूट जाती है, जिस से पौधे के स्थान बदलने के बाद सूखने का डर बना रहता है.
पहले और आज भी सामान्य तौर पर पौधों की ट्रांस प्लांटिंग जमीन से जमीन में की जाती थी, पर नई तकनीक में पौधों की ट्रांस प्लांटिंग पौली बैग में की जाती है. ये पौली बैग पहले से तैयार कर के रखने चाहिए, जिस में गोबर की खाद, मिट्टी, बालू व भूसी को बराबर मात्रा में मिला कर भरा जाता है. इस तैयार पौली बैग में क्यारी से पौधों को निकाल कर लगाने के बाद स्प्रिंकलर या प्लास्टिक के पाइप द्वारा आवश्यकतानुसार 2-3 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए. पौली बैग में तैयार पौधे सूखते नहीं हैं.
कलम बांधने से पूर्व की तैयारी
कलम बांधने से पूर्व कुछ तैयारियां अति आवश्यक होती हैं, क्योंकि हमें जिस भी प्रजाति के आम का पौध तैयार करना है, उस के 4-6 वर्ष पुराने पौध हमारे पास उपलब्ध होने चाहिए. उस के लिए अधिक उत्पादन और अच्छी गुणवत्ता वाली प्रजातियां बांबे ग्रीन, दशहरी, लंगडा, चौसा, गौरजीत, पंत सिंदूरी, लखनऊ सफेदा, मल्लिका, खजली, आम्रपाली, रामकेला, अरुणिमा, नीलम इत्यादि हैं. अगर कलम तैयार करने के लिए आप के पास आम की अच्छी प्रजाति के पेड़ नहीं हैं, तो आप बागबानी करने वालों से भी संपर्क कर सकते हैं.
ऊपर बताई गई प्रजातियों में से जिस प्रजाति के पौधों की नर्सरी कलम विधि से तैयार करनी हो, उन पौधों की पुरानी टहनियों की काटछांट कर आम की गुठलियों को नर्सरी में डालने के पहले ही कर लें. जब इन में नए कल्ले (साइन) निकल आएं और यह 60-70 दिन पुराने हो जाएं, तो इन कल्लों को डिफलिएट यानी कल्लों के पत्तों की जड़ को डेढ़ इंच से ऊपर काट दिया जाता है. डिफलिएट किए गए कल्लों से एक से दो सप्ताह के भीतर पत्तों की जड़ झड़ जाने के बाद ये बीजू पौधों में कलम लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं.
कलम बांधना
आम की गुठलियों से तैयार पौधे की 8-9 माह में कलम बांधने योग्य हो जाते हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रायः 15 जून से 15 सितंबर तक का समय आम की नर्सरी के कलम बांधने के लिए उपयुक्त होता है. वैसे तो आम की कलम की बंधाई गरमी के महीने को छोड़ कर हर माह में की जाने लगी है.
कलम बांधने के लिए हमें पहले से तैयार किए गए उपयुक्त प्रजाति के पौधे के कल्ले, जो डिफलिएट किए गए हैं, उन्हें 6 इंच लंबाई में पेड़ से काट कर अलग कर लिया जाता है. फिर बीज से तैयार पौधे के ऊपरी हिस्से को काट दिया जाता है और काटे गए स्थान में चाकू से चीरा लगा दिया जाता है. इस के उपरांत डिफलिएट किए गए कल्ले के निचले सिरे को दोनों तरफ से छील लेते हैं, फिर बीज वाले पौधे के सिरे में इस को फिट कर दिया जाता है.
कलम के लगाने के बाद इसे प्लास्टिक की पन्नी से कस कर बांध देते हैं. बांधे गए कलम में पौलीथीन कैप, जिसे क्लेप्ट विधि कहा जाता है, ऊपर से लगा दिया जाता है. यह कैप बांधे गए कलम को सूखने से बचाता है और कलम पर मौसम का प्रभाव भी कम पडता है. इस के साथ ही यह प्लास्टिक कैप कलम की नमी को बनाए रखने के साथ उत्प्रेरक का भी काम करता है.
कलम लगाने के बाद यह ध्यान रखना जरूरी है कि पौधे की जड़ों में पर्याप्त नमी बनी रहे. कलम बांधे गए हिस्से में जड़ की तरफ निकलने वाले हिस्से को तोड़ दिया जाता है, क्योंकि उस से पौधा बीजू हो जाता है.
इस के अलावा साइज विधि से भी कलम लगाई जाती है, जिस के लिए फिफलिएट किए गए कल्ले व बीजू पौधे को छील कर आपस में बांध दिया जाता है, लेकिन इस प्रकार के कलम में 20 फीसदी पौधों के मरने की आशंका बनी रहती है.
कलम बांधने के 5-6 माह में पौधे बिक्री योग्य हो जाते हैं, पर प्लास्टिक बैग में लगाए गए कलम के पौधे 30-40 दिन के भीतर ही बिक्री के लिए तैयार हो जाता है.
कृषि वैज्ञानिक राघवेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि आम के पौधों की नर्सरी 50 रुपए से ले कर 500 रुपए तक में बिकती है. उन्होंने बताया कि विश्वविख्यात आम्रपाली प्रजाति बस्ती जिला उद्यान में विकसित की गई है, जिस की मांग की अपेक्षा आपूर्ति नही की जा पा रही है, क्योंकि आम्रपाली की प्रजाति कम समय में फल देना शुरू करती है. साथ ही, अन्य प्रजातियों की अपेक्षा यह जगह भी कम घेरती है.