जलवायु में पिछले 2-3 दशक में काफी बदलाव आया है. इस से वर्षा की अनियमितता और फसल खराब होने की संभावना भी काफी बढ़ गई है. इन सभी समस्याओं को देखते हुए कई किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती की ओर रुख किया है, क्योंकि इस फल की खास बात यह है कि इस का उत्पादन सूखा, बाढ़ या किसी अन्य मौसम संबंधी आपदाओं से प्रभावित नहीं होता है. यह लगभग कैक्टस पौधे की तरह है. इसे बहुत कम देखभाल की जरूरत होती है.

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में सब से ज्यादा ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रही है. यहां तकरीबन 85 एकड़ भूमि में ड्रैगन फ्रूट की खेती हो रही है. 15 किसान बड़े स्तर पर ड्रैगन फ्रूट की पैदावार कर रहे हैं, जहां 100 से अधिक किसान खेती करते हैं.

जिले के प्रगतिशील किसान परंपरागत खेती से हट कर पूरी तरीके से आधुनिक और नई खेती पर जोर दे रहे हैं. मिर्जापुर जिले के मडि़हान के राजगढ़ सहित अन्य क्षेत्रों में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रही है. ड्रैगन फ्रूट की खेती कर के किसान अब लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं.

मिर्जापुर के किसान प्रभाकर सिंह ने बताया कि जिले में पानी की बेहद कमी के चलते परंपरागत खेती धान व गेहूं की करना लाभहीन सिद्ध हो रहा है, जिस के कारण हमें नई खेती की ओर रुख करना पड़ रहा है. ड्रैगन फ्रूट की खेती हम लोगों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो रही है, इसलिए हम ने साल 2017 में एक हेक्टेयर जमीन में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के बारे में सोचा. शुरुआत में इस में लगभग 6 लाख रुपए की लागत आई और 2 साल में इस में फल आने लगे. अब ड्रैगन फ्रूट से 300-400 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से दाम मिल जाता है.

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