आजकल आम उत्पादक किसान आम के फलों पर लाल पट्टीधारी फल छेदक (रैड बैंडेड बोरर) कीट के आक्रमण से बहुत परेशान हैं. उन का कहना है कि 20 से 25 फीसदी आम के फलों में इस कीट के आक्रमण से फल फट कर सड़ रहा है. इस के लिए विश्वविद्यालय के आसपास के बागों का निरीक्षण किया गया. देखने में आया कि इस कीट की वजह से निश्चित रूप से किसानों को खासा नुकसान हुआ है. इस के पूर्व यह कीट ज्यादा नुकसान तब पहुंचाता था, जब फल टिकोले की अवस्था में होते थे, लेकिन इस वर्ष जबकि लगभग सभी फलों में गुठली बन गई हैं, इस अवस्था में भी इस कीट से भारी नुकसान देखा जा रहा है.
सकरा, मुजफ्फरपुर के पास के एक बाग में लगभग 30 फीसदी आम के फलों में स्पष्ट तौर से छेद देखा जा सकता है. किसानों का कहना है कि उन्होंने लगभग सभी कीटनाशकों का छिड़काव कर लिया है, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है.
आम उत्पादक किसानों के पास इस कीट के प्रबंधन के संबंध में सही जानकारी न होने की वजह से भारी नुकसान हो रहा है.
आम के रैड बैंडेड कैटरपिलर कीट का प्रकोप टिकोले की अवस्था से ले कर जब तक फल कच्चा रहता है हो सकता है. यह कीट समस्तीपुर के साथसाथ पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर एवं दरभंगा, सीतामढ़ी, शिवहर जिले के आम उत्पादक किसान आम के फ्रूट ब्रोरर यानी फल छेदक कीट के हमले से भारी नुकसान हो रहा है.
पिछले 2 साल से भारी वर्षा एवं वातावरण में अत्यधिक नमी होने की वजह से इस कीट का व्यापक प्रकोप देखा जा रहा है. यदि समय से इस कीट का प्रबंधन नहीं किया गया, तो भारी नुकसान होने की संभावना है. ये कीड़ा लार्वा के रूप में दो सटे हुए आम के फलों पर लगता है.
शुरुआत में ये आम के फल पर काला धब्बा जैसा दाग डाल देता है. यदि समय से इस की रोकथाम नहीं की गई, तो ये फल को छेद कर अंदर से सड़ा देता है, जो कुछ ही दिनों में गिर जाता है. इसे रैड बैंडेड मैंगो कैटरपिलर भी कहते हैं.
कैसे करें पहचान :
रैड बैंडेड मैंगो कैटरपिलर (RBMC) एशिया के उष्णकटिबंधीय भागों में आम का एक महत्वपूर्ण कीट है. भारतवर्ष में इस कीट से 10 फीसदी से ले कर 50 फीसदी के बीच नुकसान का आकलन किया गया है. यह कीट आम के लिए एक गंभीर खतरा है. इस कीट को आम का फल छेदक (बोरर)/ लाल पट्टी वाला छेदक/आम का गुठली छेदक इत्यादि नामों से जाना जाता है.
इस कीट के अंडे का आकार 0.45 x 0.7 मिमी, रंग दूधिया सफेद, लेकिन 2-3 दिनों के बाद क्रिमसन रंग में बदल जाता है. शुरू में इस कीट के लार्वा बहुत ही छोटे होते हैं, गुलाबी बैंडिंग और काले सिर क्रीम रंग के होते हैं. जैसे ही लार्वा बढ़ता है, वे चमकीले, गहरे लाल और सफेद रंग के बैंड के साथ चमकदार हो जाते हैं और सिर के पास एक काला ‘कौलर’ होता है. लंबाई में 2 सैंटीमीटर तक बढ़ सकता है. एक आम के फल में एक से अधिक लार्वा मौजूद हो सकते हैं, और वे अलगअलग आकार के हो सकते हैं.
फल आम के पेड़ का एकमात्र हिस्सा है, जो इस कीट से प्रभावित होता है. आम के फल का छिलका और फल के हिस्से के अंदर लाल बैंडेड कैटरपिलर सुरंगें बनाती हैं और फल के अंदर की गुठली को भी खाती हैं, जिस से फल खराब होते हैं और जल्दी गिर जाते हैं.
इस कीट के अंडे आमतौर पर फलों के डंठल यानी पेडुनकल पर पाए जाते हैं. अंडे देने के लिए आम की मार्बल स्टेज सब से अनुकूल अवस्था होती है. शुरुआती मौसम में पतझड़ के मौसम में पतंगों की तुलना में बड़ी संख्या में अंडे दिए जा सकते हैं, 12 दिनों के बाद अंडे लार्वा में आ जाते हैं, जो फलों के गूदे में और बाद में आम की गुठली में सुरंग बनाते हैं. लार्वा फल में आमतौर पर 1 बोर छेद के माध्यम से प्रवेश करते हैं. 15-20 दिनों के लिए लार्वा खाते हुए, 5 विकास चरणों (इंस्टार) से गुजरते हुए बढ़ते हैं. पहले 2 इंस्टार्स आम के गूदे पर, बाद में इंस्टार्स आम की गुठली को खाते हैं. लार्वा रेशम के एक कतरा का उत्पादन कर सकते हैं, जिस का उपयोग वे अन्य फलों पर या आसपास के फलों को अन्य पेड़ों पर ले जाने के लिए कर सकते हैं, जब वे भोजन से बाहर निकलते हैं या पेड़ की छाल या मिट्टी को छोड़ने के लिए छोड़ देते हैं. आम के पेड़ों की छाल के नीचे या मिट्टी में होता है और आमतौर पर लगभग 20 दिन लगते हैं.
जब आम के फलने का मौसम खत्म हो जाता है, तो प्यूपा अगले फलने के मौसम तक जीवित रह सकता है. आम में मंजर निकलने के समय वयस्क पतंगे का उद्भव होता है. एक बार वयस्क कीट उभरने के बाद, संभोग के बाद मादा अंडे देना शुरू कर देती है. वयस्क मादा पतंगे 3-9 दिनों तक जीवित रह सकती हैं. पतंगे ज्यादातर निशाचर होते हैं, दिन में पत्तियों के नीचे आराम करते हुए अपना समय बिताते हैं.
कीट की रोकथाम :
आम के फल को इस कीट से बचाने के लिए आवश्यक है कि बाग से सड़ेगले और गिरे हुए फल को इकट्ठा कर बाहर कहीं नष्ट कर दें. अगर संभव हो, तो फल की बैंगिंग कर दें.
इस कीट के प्रबंधन के लिए क्लोरीनट्रानिलिप्रोएल (कोरिजन) 0.4 मिली. प्रति लिटर पानी या इमामेक्टिन बेंजेट 0.4 ग्राम या डेल्टामेथ्रिन 28 ईसी 1 मिली. प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करने से इस कीट की उग्रता में कमी लाई जा सकती है. आम के फल के मटर के बराबर होने पर छिड़काव करें और 2 सप्ताह बाद पुनः दोहराएं.
– प्रो. (डा.) एसके सिंह,
सह मुख्य वैज्ञानिक (पौध रोग), प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवम् सह निदेशक अनुसंधान, डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर