पपीते की अच्छी खेती के लिए हमेशा उन्नत किस्मों को ही अपनाना चाहिए. जिस से पपीते की बेहतर पौध तैयार होगी. इस के अलावा पौधों को पौधशाला में लगाने की विधि व समय का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है. साथ ही अपने क्षेत्र के अनुसार पपीता किस्म का चुनाव करे. यहां पपीते की कुछ खास उन्नत प्रजातियों के बारे में जानकारी दी गई है.
पूसा डेलीसियस : यह पपीते की उभयलिंगी किस्म है. इस में मादा और नर दोनों तरह के फूल एक ही पौधे पर आते हैं. पके फल का स्वाद मीठा और आकर्षक सुगंध लिए होता है. यह एक से ज्यादा उपज देने वाली किस्म है.
पूसा ड्वार्फ : यह छोटे आकार वाली द्विलिंगी किस्म है. इस में नरमादा फूल अलगअलग पौधों पर लगते हैं. फल मध्य और अंडाकार आकार के होते हैं.
पूसा नन्हा : इस किस्म का पौधा बहुत बौना होता है. यह किस्म घर के बगीचे में उगाने के लिए ज्यादा उपयोगी होती है. साथ ही, सघन बागबानी के लिए भी सही है. इस किस्म की खूबी यह है कि इस किस्म के पौधे रोपाई के 3 माह बाद ही फूल और फल देने शुरू कर देते हैं.
कोयंबटूर 3 : यह एक उभयलिंगी किस्म है. पौधा मध्यम लंबा, सुदृढ़ और मध्यम आकार का फल देने वाला होता है. पके फलों में शर्करा की मात्रा ज्यादा होती है. गूदा लाल रंग का होता है.
कोयंबटूर 6 : इस का पौधा छोटा और द्विलिंगी होता है. एक फल का वजन 1.5 किलोग्राम के आसपास होता है. पौधा बोना, सुदृढ़ और मध्यम आकार का फल देने वाला होता है. यह किस्म पपेन उत्पादन के लिए सही है.
कोयंबटूर 7 : यह एक उभयलिंगी किस्म है. एक फल का वजन तकरीबन 1.25 किलोग्राम होता है. पके फल में शर्करा की मात्रा ज्यादा होती है और गूदा लाल रंग का होता है.
अर्का प्रभात : इस किस्म का विकास भारतीय उद्यान अनुसंधान संस्थान, हैसरगट्टा, बेंगलुरु द्वारा किया गया है. यह एक संकर उभयलिंगी किस्म है. फल का आकार मध्यम और लंबा होता है. गूदे का रंग लाल होता है.
सूर्या : इस किस्म का विकास भी भारतीय उद्यान अनुसंधान संस्थान, हैसरगट्टा, बैंगलुरु द्वारा किया गया है. यह एक संकर उभयलिंगी किस्म है. फल का आकार मध्यम है और लंबाई गोलाकार है. गूदे का रंग लाल होता है. फलों की क्वालिटी में यह किस्म उत्तम है.
रैड लेडी : यह ताइवान से विकसित उभयलिंगी किस्म है. इस में सभी पौधों पर फल लगते हैं. फल का आकार मध्यम और लंबाई गोलाकार लिए होती है. गूदा लाल रंग का होता है. यह किस्म पूरे भारत में बहुत ही लोकप्रिय है.