छत्तीसगढ़ : बस्तर में इन दिनों एक खामोश क्रांति करवट ले रही है. प्रायः नक्सली हिंसा के लिए कुख्यात बस्तर इन दिनों ‘मिशन ब्लैक गोल्ड’ और ‘मिशन केसरिया’ के लिए चर्चित है. पहली नजर में इन सुर्खियों को पढ़ने पर ऐसा लग सकता है कि शायद यह किसी सरकारी मिशन, अभियान या योजना से संबंधित होगा, पर हकीकत यह है कि इन मिशन का सरकारी योजनाओं से कोई लेनादेना नहीं है.
दरअसल, यह अनूठी पहल बस्तर के जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए पिछले 3 दशकों से लगातार काम कर रही जैविक किसानों की संस्था “मां दंतेश्वरी हर्बल समूह”, समाजसेवी संस्थान “संपदा” एवं स्थानीय मीडियासंगठनों के संयुक्त तत्वावधान में की गई है.
इस समूह के संस्थापक डा. राजाराम त्रिपाठी ने इस महत्वाकांक्षी अभियान में स्थानीय मीडिया को भी शामिल करते हुए विगत 23 अगस्त को बैठक भी की थी.
उक्त बैठक के एक महीने पूरे होने पर डा. राजाराम त्रिपाठी ने प्रैस वार्त्ता में बताया कि इस बीच संस्था के द्वारा इस एक महीने में 17 गांवों में तकरीबन 500 किसानों की बाड़ी और खेतों में तकरीबन 7 हजार काली मिर्च एवं अनाटो के पौध लगा दिए गए हैं.
कोंडागांव जिले के चयनित गांव
1. चलका, 2. मालगांव, 3. सुआ डोंगरी, 4. सोना बाल, 5. कबोंगा, 6. मालाकोट, 7. बूढ़ा कशा, 8. कुमारपारा, 9. बुना गांव, 10 उमरगांव, 11. दाढिया,12 केंवटी,13. जोबा,14. सोहंगा,15. बंजोड़ा,16. लभा ,17. कनेरा आदि में ये पौध लगवाए गए हैं.
उन्होंने मिशन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि “मिशन बस्तरिया ब्लैक गोल्ड” के तहत ‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सेंटर’, कोंडागांव द्वारा पूरी तरह से बस्तर में ही विकसित की गई और देश की अन्य प्रजातियों की तुलना में तिगुना तक ज्यादा उत्पादन देने वाली और बेहतरीन गुणवत्ता के कारण पूरे देश में नंबर वन मानी जा रही काली मिर्च की वैरायटी “मां दंतेश्वरी काली मिर्च- 16 (एमडीबीपी -16)” के पौधे एवं “मिशन केसरिया” के तहत इसी संस्थान द्वारा विकसित केवल 2 सालों में बहुपयोगी फल देने वाले और दूसरी वैरायटी की तुलना में दोगुना उत्पादन देने वाले “अनाटो (सिंदूरी) की वैरायटी “एमडीएबी -16” के पौधे, जिन की लागत सौ रुपए प्रति पौधा है. आसपास के गांवों में चयनित किसानों को निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है और उन्हें इसे लगाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है.
हमारा लक्ष्य है कि गांवों में “हर पेड़ पर काली मिर्च चढ़ाएं – खेतीबारी की खाली जगहों में अनाटो लगाएं”. एक बार ये पौधे लगा लेंगे, तो 2-3 साल में अतिरिक्त आमदनी होनी शुरू हो जाएगी और कम से कम 50 साल तक आमदनी बढ़ते क्रम में प्राप्त करेंगे और घर बैठे बस्तर के सभी परिवारों को समृद्ध बनाएंगे. इस से बस्तर के हमारे आदिवासी भाइयोंबहनों को और उन की आगे आने वाली पीढ़ियों को भी बिना अपना गांव, घर और जंगलजमीन को छोड़े, घर पर ही बिना किसी अतिरिक्त खर्च के पर्याप्त आमदनी वाला रोजगार मिल जाएगा. इस से पेड़ों का कत्ल भी रुक जाएगा और पर्यावरण की रक्षा भी होगी.
इस अभियान की सब से खास बात यह है कि ये पौध मुफ्त दिए जा रहे हैं. इस को लगाने की ट्रेनिंग भी मुफ्त दी जाती है और इस के उत्पादन की शतप्रतिशत मार्केटिंग सुविधा भी दी जा रही है.
इस के अलावा इच्छुक किसानों को जड़ीबूटियों की खेती की जानकारी, बीज और विपणन भी उपलब्ध कराया जा रहा है.
औषधीय पौधों के साथ ही “काली मिर्च” की खेती कोंडागांव में धीरेधीरे परवान चढ़ रही है. लगभग 3 दशक पूर्व यहां के स्वप्नद्रष्टा किसान वैज्ञानिक डा. राजाराम त्रिपाठी ने जैविक खेती व हर्बल खेती के जो नएनए प्रयोग शुरू किए थे, तभी से उन का सपना था कि छत्तीसगढ़ की जलवायु के लिए उपयुक्त ‘काली मिर्च’ की नई प्रजाति का विकास और उसे छत्तीसगढ़ के किसानों के खेतों पर और बचेखुचे जंगलों में सफल कर के दिखाना.
डाक्टर राजाराम त्रिपाठी की 25 सालों की मेहनत अब धीरेधीरे रंग दिखाने लगी है. आज क्षेत्र के कई छोटेछोटे आदिवासी किसान अपने घरों की बाड़ियों में खड़े पेड़ों पर सफलतापूर्वक काली मिर्च की फसल ले रहे हैं और नियमित अतिरिक्त कमाई करने में सफल हुए हैं.
इस मिशन के बारे में डा. राजाराम त्रिपाठी ने आगे बताया कि इसे क्रमशः उत्तरोत्तर बढ़ते क्रम में लगभग 7 करोड़ रुपए के यह पौध आगामी 7 वर्षों में सभी गांवों में किसानों के यहां निःशुल्क लगवाया जाएगा. अगर सबकुछ सही रहा, तो इन 7 वर्षों में कोंडागांव क्षेत्र कालीमिर्च, मसालों व हर्बल्स का देश का एक बड़ा हब बन कर उभरेगा. इस से पर्यावरण भी सुधरेगा.
कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए समूह में मिशन लीडर अनुराग कुमार, जसमती नेताम, शंकर नाग, कृष्णा नेताम और बलई चक्रवर्ती का सम्मापत्रकार संगठन के अध्यक्ष इसरार खान और पत्रकार संगठनों के अन्य पदाधिकारी विश्वप्रकाश शर्मा, नीरज उइके, अंजय यादव, मिलन राय, मनोज कुमार, गिरीश जोशी, हरीश देवांगन के करकमलों से किया गया.
इस अवसर पर सभी प्रमुख समाचारपत्रों और इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों की गौरवशाली उपस्थिति रही.