देश की बदलती आबोहवा और प्रदूषण की समस्या ने खेती की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ा दी हैं. ऐसे में जरूरत है कि ज्यादा से ज्यादा पौधे रोपे जाएं. इस में किसानों से ले कर आम आदमी को आगे आने की जरूरत है.

पेड़पौधों के अंधाधुंध कटान ने खाद्यान्न फसलों की खेती की मुश्किलें भी बढ़ा दी है, क्योंकि पेड़ों की घटती संख्या से वर्षा की मात्रा में तेजी से कमी आई है, जिस से फसल की सिंचाई के लिए पानी की किल्लत बढ़ी है. वहीं किसानों के साथ आम लोगों को सांस लेने के लिए साफसुथरे औक्सीजन के लिए भी तरसना पड़ रहा है.

अगर इन सब समस्याओं से समय रहते नजात पानी है, तो हमें ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण की तरफ ध्यान देना होगा. इस से न केवल आबोहवा साफ होगी, बल्कि रोपे ए पौधे अतिरिक्त आमदनी का साधन भी बन सकते हैं.

वैसे, हाल के वर्षों में पर्यावरणीय समस्या के चलते लोगों का रुझान पौधरोपण व बागबानी की तरफ ज्यादा हुआ है. ऐसे में उन्नतशील फलदार पौधों की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है. लेकिन मांग की अपेक्षा अच्छी प्रजाति के पौधों की पूर्ति में पौध तैयार करने वाली नर्सरियां सक्षम नहीं हो पा रही हैं. अगर उन्नतशील फलदार पौधों की नर्सरी तैयार करने का व्यवसाय किया जाए, तो अच्छीखासी आमदनी हो सकती है.

फलदार वृक्षों में सर्वाधिक बागबानी में आम, लीची, बेल, अनार, आंवला, अमरूद आदि शामिल हैं. इस में कुछ की नर्सरी कलम विधि से, तो कुछ की नर्सरी गूटी विधि से तैयार करना अच्छा होता है.

फलदार पौधों की बागबानी शुरू करने के लिए जरूरत होती है अधिक पैदावार देने वाले अच्छी प्रजाति के पौधों की. ये पौधे उद्यान विभाग की नर्सरी या प्राइवेट नर्सरियों से आप खरीद कर लाते हैं. इस के लिए पौध की किस्मों के अनुसार 30 रुपए से ले कर 200 रुपए प्रति पौध की दर से भुगतान कर के खरीदना पडता है.

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