बढ़ रही जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए लोग अपने खानपान और सेहत को ले कर संजीदा हुए हैं. अब लोग अपने भोजन में ऐसी सब्जियों और अनाजों को शामिल कर रहे हैं, जो उन्हें बीमारियों से बचाने में मदद तो करे ही, साथ ही शारीरिक डीलडौल को भी चुस्तदुरुस्त रखे.
इस मामले में डाक्टरों और खानपान से जुड़े मामलों के जानकारों का यह मानना है कि अगर भोजन में अनाज के साथ हरी पत्तेदार सब्जियों और फलफूल को शामिल कर लिया जाए, तो शरीर को भरपूर मात्रा में पोषण तो मिलता ही है, साथ ही यह हमें कई तरह की बीमारियों से बचाता भी है.
खानपान से जुड़े माहिरों का यह भी मानना है कि अगर हरी पत्तेदार सब्जियों को बिना तेलमसाले के उबाल कर या कच्चा ही खाया जाए, तो यह और भी कारगर होता है. यही वजह है कि बाजार में ऐसी हरी सब्जियों और पत्तेदार साग की मांग दिनोंदिन बढ़ रही है.
बाजार में हरी पत्तेदार सब्जियों की बढ़ती मांग को देखते हुए अगर किसान इन की खेती करें, तो किसानों की अच्छीखासी आमदनी हो सकती है.
अगर उबाल कर या कच्ची खाई जाने वाली पत्तेदार सब्जियों की बात करें, तो ‘चीनी पाकचोई’ नाम की पत्तेदार सब्जी इन्हीं में से एक है. इसे ‘बोक चौय’ के नाम से भी जाना जाता है. बड़ेबड़े मौल और शौपिंग सैंटर में यह हमें आसानी से बिकती हुई दिख जाती है. जहां इसे काफी ऊंचे दाम पर बेचा जाता है. इस के पौधों के पत्ते आकर्षक हलके हरे रंग और 500-650 ग्राम के औसत वजन के साथ मांसल और मुलायम होते हैं.यह सर्दियों के मौसम की फसल है. इसे हम कच्चा या हलके भाप में उबाल कर सोया सास या हलके नमक के साथ खा सकते हैं.
‘चीनी पाकचोई’ पत्तागोभी कुल की सब्जी है. पाकचोई को हम गमलों में भी आसानी से उगा सकते हैं. अगर आप पास गृहवाटिका या छत पर बागवानी का काम करते है तो वहां आसानी से पाकचोई को उगाया जा सकता है.
पोषक तत्वों से है भरपूर
पाकचोई को चीन और जापान में काफी पसंद किया जाता है, क्योंकि यह कई तरह के पोषक तत्वों की प्रचुरता वाली सब्जी मानी जाती है. इस का उपयोग सूप, हलचल फ्राइज और भी अन्य पकवानों के लिए किया जाता है. इस सब्जी का सेवन करने से इम्युनिटी मजबूत होती है.
पाकचोई ओमेगा-3 एस, एंटीऔक्सीडेंट, खनिज, जस्ता, प्रतिरक्षा को बढ़ाने आदि गुणों को समेटे हुए है. इस में कम मात्रा में कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट भी पाया जाता है. इस के सेवन से शरीर को प्रचुर मात्रा में इन पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है.
उन्नत किस्में
चूंकि पाकचोई एक विदेशी किस्म है, फिर भी इसे भारत में आसानी से उगाया जा सकता है. इस की कई उन्नत किस्में विकसित की गई हैं, जिन्हें घरबैठे औनलाइन ईकौमर्स वैबसाइटों से खरीदा जा सकता है.
पाकचोई की उन्नत किस्मों में प्राइमा, रिची, हिप्रो, अलेंका, निगल, हंस, फोर सीजंस, यूना, सौंदर्य पूर्वी चीन क्रंच, चीन एक्सप्रेस, मैरी, अर्ली जेन शिवालय है.
मिट्टी और जलवायु
पाकचोई ठंडे के सीजन की फसल है. इस के लिए 13 से 21 डिगरी के बीच का तापमान उपयुक्त माना जाता है. इस की खेती के लिए कार्बनिक पदार्थों से युक्त दोमट मिट्टी मुफीद होती है. इस की खेती को भरपूर पानी की जरूरत होती है.
नर्सरी तैयार करना
पाकचोई की खेती के लिए पहले नर्सरी तैयार करनी पड़ती है. बीज बोआई 15 सितंबर से 15 नवंबर तक नर्सरी में की जानी चाहिए. इस के लिए पहले मिट्टी को खूब भुरभुरी बना कर उस में गोबर की सड़ी खाद या कंपोस्ट खाद मिला कर 3 मीटर लंबा और 2 मीटर चौड़ा बेड बना लेते हैं. एक हेक्टेयर में बोआई के लिए इस के आधा किलोग्राम से ले कर एक किलोग्राम बीज काफी होता है.
अगर इस के बीजों की खेत सीधी बोआई यानी डायरेक्ट सोइंग करनी हो, तो उस के लिए इस के बाद 3 से 4 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की जरूरत पड़ती है.
रोपाई
अगर पाकचोई की रोपाई नर्सरी डाल कर की जा रही है, तो नर्सरी में जब पौधे 25-30 दिन के हो जाएं, तो इस के पौधों को पहले से तैयार खेत में रोपाई कर देना चाहिए.
पौधों की रोपाई के पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार खेत में रोपाई करें. रोपते समय यह जरूर ध्यान दें कि पंक्ति से पंक्ति और पौधों से पौधों की दूरी 30-45 सैंटीमीटर रखी जानी चाहिए.
खाद एवं उर्वरक
पाकचोई के खेत में रोपाई या सीधी बोआई के पहले प्रति हेक्टेयर की दर से 40-50 टन गोबर की सड़ी खाद को मिट्टी में डाल कर अच्छी तरह मिला दें. इस के अलावा 125 किलोग्राम नाइट्रोजन यानी 275 किलोग्राम यूरिया के साथ 62.5 किलोग्राम फास्फोरस यानी 387.5 किलोग्राम सिंगल सुपरफास्फेट और 62.5 किलोग्राम और पोटाश की 100 किलोग्राम मात्रा को 3 हिस्सों में बांट लें, जिस में से एक भाग पौधों की रोपाई या बीज की सीधी बोआई के पहले जुताई के दौरान मिट्टी में मिला देना चाहिए, जबकि बाकी बची खाद और उर्वरक के 2 हिस्से को फसल बोआई के बाद क्रमशः 20वें और 35वें दिन समान अनुपात में खड़ी फसल में प्रयोग करें.
सिंचाई
पाकचोई ज्यादातर ठंड के मौसम में उगाई जाती है. इसलिए इस फसल को कम सिंचाई की जरूरत होती है. फिर भी मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए पौध की रोपाई के 5वें दिन और फिर 10-12 दिनों के अंतराल में हलकी सिंचाई करते रहें.
निराई, गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण
पाकचोई के पौध रोपाई या सीधी बोआई के बाद फसल को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए एक या दो निराई या गुड़ाई करनी जरूरी है.
कीट व बीमारी
आमतौर पर पाकचोई की पौध में किसी गंभीर कीट व बीमारी का प्रकोप नहीं होता है. हालांकि एफिड्स और फ्लाई बीटल कभीकभी नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसी दशा में कीटों को नियंत्रित करने के लिए पौधों के विकास के दौरान 10 दिनों के अंतराल पर एक या दो बार नीम बीज सत को 5 फीसदी की दर से प्रयोग करें.
कटाई और उत्पादन
पाकचोई की तैयार फसल को पौधों की मिट्टी के स्तर से थोड़ा ऊपर से कटाई की जाती है. यह आमतौर पर रोपाई के 40 से 50 दिन बाद होती है. पाकचोई सर्दियों के मौसम की फसल है, जो 500-550 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत उपज देती है.