बोर्डो मिश्रण तैयार करने का आविष्कार फ्रांस के बोर्डो विश्वविद्यालय के प्रोफैसर पीएमए मिलारडैंट ने साल 1985 में किया था.
बोर्डो विश्वविद्यालय के नाम से इस मिश्रण का नाम बोर्डो मिश्रण प्रचलित हुआ.
हालांकि इस मिश्रण के आविष्कार को 2 शताब्दी से ज्यादा समय बीत चुका है और इस दौरान अनगिनत फफूंदनाशक व जीवाणुनाशक रसायनों की खोज हो चुकी है, पर आज भी इस की लोकप्रियता खासकर बागबानी में ज्यों की त्यों बनी हुई है.
मजे की बात यह है कि इस घोल के छिड़काव के लिए किसी तरह के स्टीकर या चिपचिपे पदार्थ की जरूरत नहीं होती और यह घोल थोड़ा सूख जाने पर खुद ही पौधों के विभिन्न उपचारित हिस्सों पर चिपक जाता है जो बारिश होने पर भी आसानी से नहीं घुलता. इसी वजह से यह विभिन्न रोगों के लिए असरदार बना रहता है.
बनाने की विधि
सामग्री
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- नीला थोथा : 2 किलोग्राम
- बिना बुझा चूना : 2 किलोग्राम
- पानी : 100-115 लिटर
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इस घोल को तैयार करने के लिए नीला थोथा व अनबुझा चूने को बताए गए अनुपात में मिलाया जाता है. एक लकड़ी के टब या मिट्टी के बरतन या प्लास्टिक के बरतन में 2 किलोग्राम नीले थोथे के बारीक पाउडर को शुरू में 15 लिटर गरम पानी में घोल लें या नीले थोथे को एक कपड़े की पोटली में बांध कर पानी में रातभर डूबा रहने दें.
जब यह चूना पूरी तरह घुल जाए, फिर इसे 100 लिटर पानी में अच्छी तरह मिला लें.
इसी तरह 2 किलोग्राम अनबुझे चूने को शुरू में 15 लिटर पानी में घोल लें. जब चूना पूरा पानी सोख ले और लेई के रूप में बन जाए, तब इस में बाकी बचा 100 लिटर पानी मिला कर इसे बारीक पतले कपड़े से छान लें.
इस के बाद तैयार दोनों घोल को एकसाथ अलग बरतन में डालते हुए किसी लकड़ी की छड़ से लगातार हिलाते हुए इन्हें पूरी तरह से मिला लें.
इस तरह एक नीले आसमानी रंग का घोल तैयार हो जाएगा. यही बोर्डो मिश्रण है. इस घोल को तुरंत इस्तेमाल कर लेना चाहिए, क्योंकि इस का भंडारण नहीं किया जा सकता.
बोर्डो पेस्ट बनाने की विधि
सामग्री
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- नीला थोथा : 2 किलोग्राम
- बिना बुझा चूना : 3 किलोग्राम
- पानी : 100-115 लिटर
इस पेस्ट को बोर्डो मिश्रण की तरह ही बनाते हैं, पर पानी की मात्रा उस के मुकाबले कम मिलाते हैं, ताकि वह पेस्ट बन सके. नीले थोथे व चूने को अलगअलग 15-15 लिटर पानी में घोलते हैं और बाद में दोनों घोलों को एकसाथ मिला कर पेस्ट तैयार कर लेते हैं.
ध्यान रहे कि तैयार मिश्रण क्षारीय होना चाहिए. इस्तेमाल करने से पहले इस की जांच जरूरी है. इस की जांच के लिए एक लोहे की छड़ या चाकू की धार वगैरह डुबो कर देखते हैं. अगर डूबे हुए हिस्से पर लाल ईंट के रंग की परत जम जाए तो यह घोल छिड़काव व लेप के लिए उचित नहीं है, इसलिए कुछ गाढ़े चूने का घोल इस घोल में तब तक मिलाते रहें, जब तक चाकू की धार पर लाल परत बननी बंद न हो जाए.
उपयोग
पौधों में जड़ गलन, तना गलन, गोंद निकलना, टहनीमार रोग, भूरे धब्बों का रोग व काटछांट के बाद कटे हुए हिस्सों में बोर्डो मिश्रण का छिड़काव व पेस्ट बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है. यह डाउनी मिल्ड्यू, पाउडर फफूंदी व अन्य कवक रोगों के नियंत्रण के लिए अंगूर के बाग, खेतों व बगीचों में इस्तेमाल किया जाता है.
बरतें ये सावधानियां
* इस मिश्रण को हमेशा ताजा ही तैयार करें और तैयार करने के 2-3 घंटे में ही इस का इस्तेमाल कर लें.
* नीले थोथे का घोल हमेशा मिट्टी के बरतन या प्लास्टिक के टब में ही तैयार करें.
* मिश्रण को किसी भी कीटनाशक या दूसरे रसायन में मिला कर इस्तेमाल न करें.
* तेज धूप वाले दिन कोमल पत्तियों पर बोर्डो मिश्रण के घोल का छिड़काव न करें. इस से पौधों में जलन हो सकती है.
* पौधों पर छिड़काव करने से पहले तैयार मिश्रण की जांच जरूर कर लें. यह हमेशा क्षारीय होना चाहिए.
* घोल को इस्तेमाल करने से पहले किसी बारीक कपड़े से जरूर छान लें.