फसल के अच्छे उत्पादन के लिए खादपानी के अलावा खेतों से खरपतवार को हटाना बहुत जरूरी होता है. किसान अगर समय रहते खरपतवार की तरफ ध्यान नहीं देते हैं तब पूरा खेत इन से ढक जाता है और उत्पादन कम होता है.

हम आप को गाजर घास के प्रकोप से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है, इस के बारे में बता रहे हैं.

इस खरपतवार में ऐस्क्यूटरपिन लैक्टोन नामक जहरीला पदार्थ पाया जाता है जो फसलों की अंकुरण क्षमता और बढ़वार पर बुरा असर डालता है. इस के परागकण परपरागित फसलों के मादा जनन अंगों में जमा हो जाते हैं जिस से उन की संवेदनशीलता खत्म हो जाती है और बीज नहीं बन पाते हैं. यह दलहन फसलों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणुओं की क्रियाशीलता को भी कम करता है जिस से पैदावार पर बुरा असर पड़ता है.

गाजर घास कितनी खतरनाक घास है, इस का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यह जितनी फसल के लिए घातक है, उस से कहीं ज्यादा इनसानों के साथ ही जानवरों के लिए भी खतरनाक है. इस खरपतवार के संपर्क में आने से आप को एलर्जी, बुखार, एग्जिमा, दमा व नजला जैसी तमाम घातक बीमारियां हो सकती हैं.

अगर पशु इस घास को खा लेते हैं, तो उन में भी कई तरह के रोग हो जाते हैं. यहां तक कि गाजर घास को गाय या भैंस खा लेती हैं, तो उन के थनों में सूजन आ जाती है, जिस से दूध देने की कूवत कम हो जाती है और कभीकभी इस को खाने से पशु मर भी जाते हैं.

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