अपनी फसल की सुरक्षा के लिए किसानों को कई समस्याओं से निबटना पड़ता है. फसल में कीड़ों का हमला, नीलगाय की परेशानी और खेतों में चूहों का आक्रमण वगैरह कुछ ऐसी दिक्कतें हैं, जिन से फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है.

चूहे खेतखलिहानों, घरों और गोदामों में अनाज खा कर बहुत सा नुकसान करते हैं, साथ ही, अपने मलमूत्र से अनाज बरबाद कर देते हैं.

देश में चूहों से फसलों के नुकसान की बात करें तो राष्ट्रीय आंकड़ों के मुताबिक, चूहे खेत में खड़ी फसलों को 5 से ले कर 15 फीसदी तक का नुकसान पहुंचाते हैं.

चूहे के दांत न बढ़ें, इसलिए वे कठोर से कठोर चीजें जैसे लकड़ी के दरवाजे, बिजली के तार काट डालते हैं. चूहे सब से ज्यादा खड़ी फसलों को काटते हैं.

चूहों में प्रजनन की कूवत दूसरे जीव के मुकाबले बहुत ज्यादा होती है इसलिए इन की तादाद कुछ ही दिनों में काफी हो जाती है. चूहा 3 से ले कर 7 दिन तक बिना पानी और भोजन के रह लेता है. शोध में यह भी पता चला है कि मरूस्थलीय इलाकों में पाया जाने वाला जरबिल चूहा एक साल तक बिना पानी के भी जिंदा रह सकता है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल तकरीबन 2 करोड़ चूहों को खत्म किया जाता है, लेकिन चूहों की तादाद में कोई कमी नहीं आई है. चूहे किसानों के जानी दुश्मन हैं. पूरी दुनिया की बात की जाए तो चौंकाने वाले आंकड़ों से आंखें खुली की खुली रह जाती हैं.

जानकारों का मानना है कि एक साल में चूहे इतना अनाज खा जाते हैं कि दुनिया की एक बड़ी आबादी का उतने अनाज से पेट भरा जा सकता है. इस से हर साल अरबों रुपयों का नुकसान होता है. इस के बाद भी चूहों की आबादी घटाने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है.

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