लघु या छोटी धान्य फसलों जैसे मंडुआ, सावां, कोदों, चीना, काकुन आदि को मोटा अनाज कहा जाता है. इन सभी फसलों के दानों का आकार बहुत छोटा होता है. लघु अनाज पोषक तत्त्वों और रेशे से भरपूर होने के चलते इस का औषधीय उपयोग भी है.
यह आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन के साथसाथ फास्फोरस का भी अच्छा स्रोत है. मंडुआ से रोटी, ब्रेड, सत्तू, लड्डू, बिसकुट आदि तैयार किए जाते हैं, वहीं सावां, कोदों, चीना व काकुन को चावल, खीर, दलिया व मर्रा के रूप में उपयोग करते हैं और पशुओं को चारा भी मिल जाता है.
जहां मुख्य अन्य फसलें नहीं उगाई जा सकती हैं, वहां पर ये फसलें आसानी से उगा ली जाती हैं. ये फसलें सूखे व अकाल को सहन कर लेती हैं और 70-115 दिन में तैयार हो जाती हैं. फसलों पर कीट व रोगों का प्रकोप कम होता है.
ग्रामीण क्षेत्रों में इन मोटे अनाजों के बारे में अनेक कहावतें प्रचलित हैं, जैसे :
मंडुआ मीन, चीन संग दही,
कोदों भात दूध संग लही.
मर्रा, माठा, मीठा.
सब अन्न में मंडुआ राजा.
जबजब सेंको, तबतब ताजा.
सब अन्न में सावां जेठ.
से बसे धाने के हेठ.
खेत की तैयारी
मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई करें. इस के बाद 2-3 बार हैरो से गहरी जुताई करें.
मंडुआ की उन्नत किस्में
जल्दी पकने वाली प्रजाति (90-95 दिन) वीआर 708, वीएल 352, जीपीयू 45 है, जिस की उपज क्षमता प्रति बीघा (2500 वर्गमीटर/20 कट्ठा) 4-5 क्विंटल है.
मध्यम व देर से पकने वाली प्रजाति (100-115 दिन) जीपीयू 28, 67, 85, आरएयू 8 है. इस की उपज क्षमता 5-6 क्विंटल प्रति बीघा है.
सावां की प्रजाति
वीएल 172 (80-85 दिन), वीएल 207, आरएयू 3, 9 (85-90 दिन).
कोदों प्रजाति
जेके 65, 76, 13, 41, 155, 439 (अवधि 85-90 दिन), जीपीयूके पाली, डिडरी (अवधि 100-115 दिन) है.
चीना की प्रजाति
कम अवधि (60-70 दिन) एमएस 4872, 4884 व बीआर 7, मध्यम व देर से पकने वाली प्रजाति (70-75 दिन अवधि) जीपीयूपी 21, टीएनएयू 151, 145 है.
काकुन की उन्नत किस्में
आरएयू 2, को. 4, अर्जुन (75-80 दिन अवधि) व एसआईए 326, 3085, बीजी 1, मध्यम व देर से (80-85 दिन) पकने वाली है.
बीज की दर
प्रति बीघा मंडुआ 2.5-3.0 किलोग्राम सावां, कोदों, चीना, काकुन का 2.0 से 2.5 किलोग्राम की आवश्यकता होती है. सभी फसलों की बोआई जून से जुलाई महीने तक की जाती है.
बोआई की दूरी
मंडुआ में लाइन से लाइन की दूरी 20-25 सैंटीमीटर और पौध से पौध की दूरी 10 सैंटीमीटर रखनी चाहिए. सावां, कोदों, चीना व काकुन के लिए 25-30 सैंटीमीटर लाइन से लाइन और पौध से पौध की दूरी 10 सैंटीमीटर रखें. सभी फसलों की बोआई की गहराई 2 सैंटीमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
खाद एवं उर्वरक
सभी फसलों में मिट्टी की जांच के आधार पर ही खाद व उर्वरक का प्रयोग करें. बोआई से पहले 17 किलोग्राम यूरिया, 62 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट व 10 किलोग्राम म्यूरेट औफ पोटाश का प्रयोग प्रति बीघा में करें. 25-30 दिन की पौध होने पर निराई के बाद 17 किलोग्राम यूरिया डालें.
उपज क्षमता
सावां, कोदों, चीना व काकुन की जल्दी पकने वाली प्रजातियों की 3-4 क्विंटल और मध्यम व देर से पकने वाली प्रजातियों की उपज 3.50 से 4.50 क्विंटल प्रति बीघा है.
अंत:वर्ती खेती
अरहर, ज्वार व मक्का के साथ आसानी से मोटे अनाजों की अंत:खेती की जा सकती है.