ग्वार (एचएफजी 156) : ग्वार एक पौष्टिक चारा फसल होने के साथसाथ मिट्टी की पैदावार कूवत भी बढ़ाती है. इस को अकेले या ज्वारबाजरा के साथ भी बोया जा सकता है.
चारे के लिए किस्म (एचएफजी 156) : यह एक लंबी व अनेक शाखाओं वाली फसल है. पत्तियों के किनारे कटे हुए होते हैं. यह किस्म बिजाई के 70 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म की बोआई अप्रैल से मध्य जुलाई माह तक करनी चाहिए.
अगेती बोई फसल में सिंचित हालात में अच्छी बढ़त होती है. वर्षाकालीन फसल जो जुलाई में बोई जाती है, बारिश पर निर्भर होती है. एचएफजी 156 की बोआई में बीज की मात्रा 16 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से लगती है.
सब्जी के रूप में ग्वार :
गंवई इलाकों में ग्वार की फलियों के साथसाथ फूलों की सब्जी बना कर खाने में इस्तेमाल किया जाता है. अब तो शहरों में भी तमाम लोग ग्वार की फलियों को सब्जी के रूप में पसंद करते हैं.
ग्वार की फली का बाजार भाव भी अच्छा मिलता है. इसलिए किसानों को चाहिए कि वह ग्वार की खेती करते समय जागरूक रहें और अपने इलाके के मुताबिक उन्नत किस्मों के बीजों का इस्तेमाल करें, जिस से बेहतर पैदावार मिल सके.