यह एक दलहनी सब्जी है. इस के हरेक भाग को इस्तेमाल में लाया जा सकता है. अपरिपक्व यानी कच्ची फली का इस्तेमाल करी, सूप, सलाद व तमाम तरह का खाना बनाने में किया जाता है. पंखिया सेम की सुगंध हरी सेम की सुगंध के समान होती है. अपरिपक्व फली में प्रत्येक 100 ग्राम खानेलायक भाग में नमी 77 फीसदी, क्रूड प्रोटीन 1.9-3.0 ग्राम, वसा 0.1-3.0 ग्राम, कैल्शियम 53-236 मिलीग्राम, आयरन 0.2-12.0 मिलीग्राम, विटामिन ‘ए’ 340-595 आईयू, विटामिन ‘बी’ 0.06-0.24 मिलीग्राम, कैल्शियम एस. कार्बिक एसिड 21-37 मिलीग्राम होता है.

इसी तरह कंदीय जड़ों में नमी की मात्रा 56.5 ग्राम, ऊर्जा 150 कि. कैलोरी, वसा 0.4 ग्राम, क्रूड प्रोटीन 10.9 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 30.5 ग्राम, फाइबर 1.6 ग्राम, कैल्शियम 25 मिलीग्राम और आयरन 0.5 मिलीग्राम पाया जाता है, वहीं सूखे हुए बीज में प्रोटीन की मात्रा 30-40 फीसदी और तेल 15-20 फीसदी पाया जाता है.

यह छत्तीसगढ़ राज्य में उतना लोकप्रिय नहीं है, फिर भी विभिन्न जांचों से जो नतीजे मिले हैं, उन से यह मालूम होता है कि इस की खेती सरगुजा के विभिन्न मैदानी इलाकों में खरीफ मौसम में दूसरी सेम की तरह  लोकप्रिय हो सकती है. इस की उत्पत्ति का स्थान न्यू गुआना, भारत, मारीशस वगैरह है.

क्षेत्रफल और जलवायु : यह एक ट्रौपिकल फसल है जो सबट्रौपिकल क्षेत्र में भी लगाई जा सकती है. फूल आने के लिए इसे छोटा दिन चाहिए होता है. इस के लिए 22 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान से 27 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान सही रहता है.

सरगुजा संभाग के आदिवासी इलाकों में विशेष आंगनबाड़ी में अल्प मात्रा में यह कम जगह में उगाई जाती है. यह जमीन की विभिन्न अवस्थाओं के प्रति सहनशील है. यह ज्यादा बारिश के साथसाथ आर्द्र जलवायु में भी उगाई जा सकती है. इस के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिस का पीएच मान 4.3-5.5 है, अच्छी बढ़वार के लिए सही है.

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