सीधी : खरीफ फसलों की बोआई की तैयारी में जुटे सभी किसानों से उपसंचालक, कृषि द्वारा अपील की गई है कि इस बार अपनी फसलों में नैनो डीएपी तरल का प्रयोग अवश्य करें. इस का प्रयोग बीज शोधन और छिड़काव दोनों रूप में किया जाता है.

उपसंचालक, कृषि द्वारा बताया गया कि नैनो डीएपी से बीजोपचार करने एवं फसलों पर छिड़काव करने से विभिन्न लाभ प्राप्त होता है. बीज अंकुरण के तुरंत बाद पौधे को पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जो परंपरागत डीएपी से समय पर नहीं मिल पाती.

उन्होंने बताया कि नैनो डीएपी के उपयोग से पौधे को तुरंत पोषक तत्व मिलते हैं, जिस से जड़ और पौधे की वृद्धि तेजी से होती है, पौधे में जड़ों की संख्या बढ़ती है, नमी की कमी होने पर पौधे की सूखा सहन करने की क्षमता बढ़ती है, पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और नैनो डीएपी पर्यावरण और मिट्टी को कोई हानि नहीं पहुंचाता. यह परंपरागत डीएपी से सस्ता पड़ता है, परिवहन में आसान है और बीजोपचार और छिड़काव दोनों विधियों में यह उपयोगी है.

उपयोग की विधि

बीजोपचार : नैनो डीएपी तरल का बीजोपचार 5 मिलीलिटर प्रति किलोग्राम की दर से करें एवं उपचारित बीजों को 20-30 मिनट तक छांव में सुखाने के बाद ही बोएं.

जड़/कंद/सेट उपचार : नैनो डीएपी तरल का जड़/कंद/सेट उपचार 5 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी का घोल बना कर जड़/कंद/सेट को 20 से 30 मिनट तक घोल में डुबोए रखें, फिर छाया में सुखाने के बाद रोपाई/बोआई करें.

पर्णीय छिड़काव : नैनो डीएपी तरल 4 मिलीलिटर प्रति लिटर साफ पानी की दर से घोल बना कर फसलों की वानस्पतिक अवस्था (कल्ले/शाखा बनते समय) या फूल निकलने से पहले वाली अवस्था पर छिड़काव करें.

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