सूरन एक जड़ वाली फसल है. इस का उपयोग सब्जी के अलावा अनेक तरह के व्यंजन बनाने के लिए भी किया जाता है. सेहत के नजरिए से भी यह काफी लाभकारी है. इस में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइडे्ट्स, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन बी 1, विटामिन बी 6, फोलिक एसिड, बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. बवासीर के अलावा कई अन्य समस्याओं में भी सूरन का सेवन बहुत फायदेमंद है.

इतना ही नहीं, सूरन के सेवन से जोड़ों का दर्द कम होता है, क्योंकि इस में एंटीइंफ्लेमेशन और दर्द कम करने वाले गुण मौजूद होते हैं. वजन घटाने में सहायक होने के साथसाथ, कब्ज, तनाव को सूरन दूर करता है. इस में बीटा कैरोटीन, एंटीऔक्सीडेंट इम्यूनिटी को मजबूत करने वाले गुण पाए जाते हैं.

प्राकृतिक रूप से उपलब्ध सूरन के घनकंदों में कैल्शियम आक्जेलेट नामक रसायन पाया जाता है, जिस के कारण खाने से गले में खुजली होती है, लेकिन वैज्ञानिकों ने नवीन उन्नतिशील किस्मों को विकसित किया है, जिस में कैल्शियम आक्जेलेट की मात्रा कम पाया जाता है. उन्नत किस्मों में गजेंद्र, कोवुर, संतरागाछी, नरेंद्र अगात आदि प्रमुख हैं.

मार्च से अप्रैल माह रोपण का सही समय है. आधा किलोग्राम से कम वजन का कंद नहीं रोपें, पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी आधाआधा मीटर रखें. घनकंदों को लगाते समय प्रत्येक गड्ढे में 2-3 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद,18 ग्राम यूरिया, 38 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 15 ग्राम म्यूरेट औफ पोटाश का प्रयोग करना चाहिए. 32 से 40 क्विंटल कंद की प्रति एकड़ में आवश्यकता होती है. पैदावार 320 से 400 क्विंटल तक प्रति एकड़ की दर से होती है, जो प्रजाति, दूरी एवं लगाने के समय पर निर्भर है. 7-8 माह में खुदाई के लिए फसल तैयार हो जाती है. अंतःफसल के रूप में लोबिया, भिंडी ले सकते हैं. बगीचे में भी इस की खेती कर सकते है.

इस से बनने वाले विभिन्न पौष्टिक खाध्य पदार्थो के बारे में प्रो. सुमन प्रसाद मौर्य, अध्यक्ष, मानव विकास एवं परिवार अध्ययन आचार्य नरेंद्र देव कृषि ए्वं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, अयोध्या ने बताया कि सूरन को छोटेछोटे टुकड़ों में काट कर और उबाल कर सब्जी या चोखा/भरता बनाया जाता है.

उबले हुए सूरन को चाट मसाला ,नीबू का रस, प्याज और धनिया के साथ मिला कर एक ताजगी भरी चाट बनाई जा सकती है. इसे टिक्की के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं. सूरन को कद्दूकस कर के घी में भून कर दूध, चीनी के साथ मेवा आदि डाल कर स्वादिष्ठ हलवा बनाया जाता है.

सूरन को कद्दूकस कर के बराबर नाप से लहसुन, हरी मिर्च को कूट कर मिलाएं. नमक और खटाई मिला कर धूप में पानी सूखने तक रखें. फिर सरसों का तेल गरम कर कुनकुना होने पर अचार में मिला दें. एक सप्ताह में तैयार होने पर इसे खाने के साथ खाया जा सकता है.

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