हमारे खेतों में पाधों की सही बढ़वार के लिए तकरीबन 16 पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है. इन में से किसी भी पोषक तत्त्व की कमी होने पर पौधे सब से पहले उस तत्त्व की कमी को दिखाते हैं. कार्बन, हाइड्रोजन, औक्सिजन, फास्फोरस और पोटैशियम को पौधे मिट्टी से अधिक मात्रा में लेते हैं. इसलिए ये सभी खास पोषक तत्त्व कहलाते हैं.

कैल्शियम, मैगनीशियम और गंधक को पौधे काफी कम मात्रा में मिट्टी से लेते हैं. इन्हें गौण पोषक तत्त्व कहते हैं.

लोहा, जस्ता, मैगनीज, तांबा, बोरोन मोलिब्डेनम और क्लोरीन तत्त्वों की पौधों को काफी मात्रा में जरूरत होती है, इन्हें सूक्ष्म पोषक तत्त्व कहा जाता है. ये सभी पौधों में सही मात्रा में होंगे तो हमारी फसल अच्छी होगी.

जरूरी है मिट्टी जांच

मिट्टी से मिलने वाले प्राथमिक, गौण और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की सही मात्रा का पता लगाने के लिए किसान को समय पर अपने खेत की मिट्टी की जांच करानी चाहिए जिस से पोषक तत्त्वों के सही प्रबंधन, खादों और उर्वरकों के सही इस्तेमाल की जानकारी मिल सके क्योंकि एक पोषक तत्त्व दूसरे पोषक तत्त्व का विकल्प नहीं हो सकता.

मिट्टी जांच कराने से मिट्टी की कमियों जैसे अम्लीयता, क्षारीयता और लवणीयता का भी पता चलता है और मिट्टी सुधारक जैसे चूना, जिप्सम वगैरह की मात्रा की भी सही जानकारी मिल जाती है इसलिए ऐसी फसलों और उन की प्रजातियों का चयन करना, उर्वरक आदि किस हिसाब से देनी है, यह पता चल जाता है.

मिट्टी जांच का समय : फसल बोने या रोपाई के एक महीने पहले खेत से मिट्टी का नमूना लें और जांच करा लें या जब फसल कटने के बाद खेत खाली हों उस समय मिट्टी की जांच कराएं.

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