अभी तक तो आप ने भूरे रंग का मटमैला आलू ही खाया होगा, पर दक्षिण अमेरिका के एंडिज पर्वतीय क्षेत्रों में काला आलू की खेती की जाती है. यह वैरायटी देखने में ही काली लगती है, पर है गुणों से भरपूर. और अब इस की खेती शबला सेवा संस्थान, गोरखपुर के सहयोग से गोरखपुर के पादरी बाजार निवासी अविनाश कुमार कर रहे हैं.

आम आलू की तरह इस काले आलू की खेती की जाती है और 3 महीने में फसल आ जाती है. इस आलू की ऊपरी सतह काली, तो भीतरी भाग गहरे बैगनी रंग का होता है.

यह आलू कई औषधीय गुण होने के कारण सफेद आलू की तुलना में अधिक स्वास्थ लाभ देता है. यह शुगर फ्री है. इस आलू में 40 फीसदी आयरन रहता है. इस में 15 फीसदी विटामिन बी-6 है और 4 फीसदी फ्लोरिक एसिड.

इस के अलावा काला आलू हीमोग्लोबिन बढ़ाने के साथसाथ नर्वस सिस्टम को मजबूत करता है. इस आलू का सर्वाधिक फायदा गर्भवती महिलाओं के लिए है. इस आलू से रक्तचाप और रक्तवाहिका स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है. यह आंशिक रूप से उच्च पोटैशियम सामग्री पाए जाने के कारण होता है. यह आलू कैंसररोधी भी होता है.

शबला सेवा संस्थान के अध्यक्ष किरण यादव का कहना है कि काला आलू में आयरन होने के कारण गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत लाभदायक है. भविष्य में संस्थान महिला किसानों के साथ मिल कर काला आलू की खेती करने की योजना बना रहा है.

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