मैहर : कलक्टर अनुराग वर्मा और मैहर कलक्टर रानी बाटड ने अपनेअपने जिले के किसानों से अपील की है कि खेतों की फसल काटने के बाद किसान बचे फसल अवशेष को नष्ट करने व खेत में नरवाई न जलाएं. खेत में नरवाई जलाने से मिट्टी एवं भूउर्वरता, लाभदायक सूक्ष्म जीव के साथसाथ संचित नमी के वाष्पीकरण से अत्यधिक नुकसान होता है. मिट्टी के लाभदायक कीट एवं जीवांश नष्ट हो जाते है एवं अगली फसल का उत्पादन प्रभावित होता है.

ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के क्रम में Air (Prevention & control of Pollution) Act 1981 के अंतर्गत प्रदेश में फसलों विशेषतः धान एवं गेहूं की कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को खेतों में जलाए जाने को प्रतिबंधित किया गया है एवं उल्लंघन किए जाने पर व्यक्ति/निकाय को प्रावधान के अनुसार पर्यावरण क्षतिपूर्ति देय होगी. 2 एकड़ से कम भूमिधारक किसानों द्वारा राशि 2,500 रुपए प्रति घटना, 2 एकड़ से अधिक और 5 एकड़ से कम भूमिधारक किसानों द्वारा राशि 5,000 रुपए प्रति घटना और 5 एकड़ से अधिक भूमिधारकों द्वारा राशि 15,000 रुपए प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति देय होगी.

खेत में फसल अवशेष/नरवाई जलाने से मिट्टी के लाभदायक सूक्ष्मजीव एवं जैविक कार्बन जल कर नष्ट हो जाते हैं, जिस से मिट्टी सख्त एवं कठोर हो कर बंजर हो जाती है एवं फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखा जा रहा है.

किसान फसल अवशेष/नरवाई न जलाएं, बल्कि इस का उपयोग आच्छादन यानी मल्चिंग एवं स्ट्रा रीपर से भूसा बना कर पशुओं के भोजन या भूसे के विपणन से अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं. इस के अतिरिक्त गेहूं एवं चना की बोनी के लिए अधिक से अधिक हैप्पी सीडर/सुपर सीडर का उपयोग करें. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे नरवाई जलाने से बचें.

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