खरीफ फसलों को बोने के साथसाथ जानवरों का खास खयाल रखना जरूरी हो जाता है. लू, धूप व तेज आंधियां जानवरों व किसानों को बेचैन कर देती हैं. इस महीने के खेती संबंधी खास कामों पर एक निगाह:
* बैगन की नर्सरी डाल दें. बोआई के लिए अच्छी नस्ल के बीजों का इस्तेमाल करें.
* तेज धूप खेतों का पानी सुखाती रहती है, मगर किसी भी हालत में गन्ने के खेतों में पानी की कमी न होने दें. अच्छी तरह निराईगुड़ाई कर के खरपतवार निकाल कर जला दें.
गन्ने के खेतों में नाइट्रोजन की बाकी मात्रा अब तक न डाली हो तो फौरन डाल दें. कृषि माहिरों से सलाह ले कर कीटनाशकों का छिड़काव करें ताकि कीटों का डर न रहे.
* अगर धान की नर्सरी अभी तक नहीं डाली है तो इस माह नर्सरी डालने का काम निबटाएं. नर्सरी डालने के लिए धान की बेहतर किस्म चुनें.
* अगर पिछले महीने नर्सरी डाली हो तो उस के पौधे 20-25 दिन के होने पर उन की रोपाई करें. रोपाई 15-20 सैंटीमीटर के फासले पर सीधी लाइन में करें. ध्यान रखें कि एक जगह पर 2 या 3 पौधों की ही रोपाई करें.
* इसी माह सोयाबीन की बोआई करें. बोआई के लिए बीजों की मात्रा 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से रखें. बोआई सीधी लाइन में 50 सैंटीमीटर के फासले पर करें और बीज को 3 सैंटीमीटर गहरा बोएं.
* कपास की फसल में जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें व खरपतवार निकाल दें. खेतों में नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा डाल दें और अच्छे कीटनाशक का फसल पर छिड़काव करें.
* बाजरे की बोआई करें. बोआई के लिए 5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. बोआई सीधी लाइन में 50 सैंटीमीटर का फासला रखते हुए करें.
* 15 जून के बाद बीज उपचारित कर सूरजमुखी की बोआई करें. बीज उपचारित होने से पौधे सेहतमंद होते हैं.
* अरहर की बोआई का काम भी इसी माह निबटा लें. बोने से पहले बीजों को कार्बंडाजिम से उपचारित करना न भूलें. 15 से 20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से बोएं. बोआई लाइन में 50 सैंटीमीटर के फासले पर करें.
* महीने के आखिरी हफ्ते में ज्वार की बोआई करें. बोआई के लिए 15 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें.
* मूंगफली की बोआई का काम भी जून में ही निबटा लें. 60-70 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करें. बीजों को बोने से पहले कार्बंडाजिम से उपचारित करना न भूलें.
* उड़द की फसल पूरी तरह पक गई हो तो उस की कटाई करें.
* मिर्च के खेतों में निराईगुड़ाई कर खरपतवार निकालें. पकी मिर्चें तोड़ लें व अगली फसल के लिए नर्सरी डाल दें. मिर्च की प्रति हेक्टेयर रोपाई के लिए डेढ़ किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.
* लहसुन की फसल तैयार हो गई हो तो फौरन खुदाई करें. खुदाई के बाद 2-3 दिनों तक लहसुन को खेत में ही सूखने दें. सूखने के बाद गड्डियां बना कर सूखी जगह पर रखें.
* तुरई की पौध तैयार हो तो 100×50 सैंटीमीटर की दूरी पर खेत में उन की रोपाई करें.
* रामदाना की बोआई 15 जून तक करें. इस के लिए डेढ़ किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें.
* अदरक की फसल की सिंचाई करें व 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से डालें.
* हलदी की फसल में जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें व 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें.
* मूंग की पकी हुई फलियां तोड़ लें या अगर 80 फीसदी फलियां पक चुकी हों तो कटाई कर लें.
* दाने के लिहाज से मक्के की बोआई करें.
* चारे की फसलों की बोआई भी जून में की जा सकती है.
* गायभैंसों को गरमी से बचाने का पुख्ता बंदोबस्त करें. रात के वक्त उन्हें खुलें में बांधें.
* मुरगेमुरगियों को लू न लगने पाए, इस का पूरा इंतजाम करें.
* जानवरों की तबीयत बिगड़ने पर फौरन पशु डाक्टर से संपर्क करें व समुचित इलाज कराएं.