आज भी देश में कुल ताजा सब्जियों के विदेशी निर्यात में से मिले विदेशी पैसों में प्याज का 75 फीसदी योगदान है. हाल के कुछ सालों में प्याज की कीमत में हुई बढ़ोतरी ने किसानों के लिए माली आमदनी के रास्ते खोले हैं. इस स्थिति में प्याज की खेती किसानों के लिए बेहतर आय का जरीया साबित हो रही है.

प्याज की खेती देश के सभी हिस्सों में की जाती है. यह रबी और खरीफ दोनों मौसम में अलगअलग राज्यों में अलगअलग समय पर बोई जाती है.

रबी मौसम में प्याज की नर्सरी डालने व रोपाई का समय अक्तूबर से जनवरी माह तक का होता है. प्याज की रोपाई के पहले इस की नर्सरी तैयार की जाती है, जिस के लिए हलकी दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है.

नर्सरी डालने के लिए मिट्टी को भुरभुरी बना कर उस में नाडेप कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट मिला कर उठी हुई क्यारियां तैयार की जाती हैं.

Onionनर्सरी डालने के लिए समतल क्यारियों का भी प्रयोग किया जाता है. नर्सरी की क्यारियों की चौड़ाई 0.60 मीटर और लंबाई सुविधानुसार रखते हैं. किसानों को चाहिए कि एक हेक्टेयर खेत में प्याज की रोपाई के लिए 3X6 मीटर की 80 से 100 क्यारिया बना लें. इस के बाद प्याज के बीज को 24 घंटे पानी में भिगो कर या सीधे क्यारियों में छिटक कर बो दें. इस के बाद क्यारियों को पुआल या घास से ढक देना चाहिए.

प्याज की नर्सरी में बोआई के समय पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है. जब प्याज के बीज का अंकुरण होने लगे, तो ढकी हुई क्यारियों से घास या पुआल हटा देना चाहिए.

प्याज की नर्सरी डालने के शुरू के 4 सप्ताह तक हलकी सिंचाई करें या फव्वारे से सिंचाई करते रहना चाहिए. नर्सरी में प्याज के पौधे 7 से 8 सप्ताह में खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं.

मिट्टी एंव खेत की तैयारी

प्याज की रोपाई के लिए हलकी दोमट से ले कर भारी दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. रोपाई के पहले यह सुनिश्चित कर लें कि मिट्टी में जीवाश्म की मात्रा अच्छी हो. साथ ही, जमीन से जल निकास की सुविधा हो और जमीन समतल हो.

मिट्टी में उर्वराशक्ति की जांच कराने के लिए मिट्टी की जांच कराना जरूरी हो जाता है. रोपाई से पहले अच्छी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बनाने के बाद पाटा लगा देना चाहिए.

खाद एवं उर्वरक

प्याज की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए अंतिम जुताई करने के लिए गोबर की सड़ी खाद नाडेप कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट डालें.

अगर किसान के पास गोबर की खाद उपलब्ध है, तो 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाना चाहिए. खेत में 100 किलो यूरिया, 250 से 300 किलो सिंगल सुपर फास्फेट एवं म्यूरेट औफ पोटाश की 120 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से पौधों की रोपाई के समय देना चाहिए. रोपाई के 4 सप्ताह बाद 100 किलो यूरिया का बुरकाव करना चाहिए.

रोपाई विधि

तैयार खेत में प्याज की रोपाई नर्सरी से पौधों को उखाड़ कर मजदूरों द्वारा या ओनियन ट्रांसप्लाटंर मशीन की सहायता से किया जा सकता है. अगर हाथ से पौधों की रोपाई कर रहे हैं, तो पौधों से पौधों की दूरी 18×9 सैंटीमीटर व गहराई 1 सैंटीमीटर रखनी चाहिए.

रोपाई के बाद खेत की सिंचाई कर देनी चाहिए. अगर प्याज की रोपाई मशीन द्वारा की जा रही है, तो रोपाई के समय ही पौधों को खाद व पानी की मात्रा मिल जाती है.

रोपाई के बाद सर्दियों में 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें एवं गरमियों में हर सप्ताह सिंचाईं करें. अगर मिट्टी रेतीली है, तो सिंचाई का अंतराल 3 दिन का होना चाहिए.

रोग नियंत्रण

प्याज की फसल में झुलसा या पर्पल ब्लीच नामक रोग लगता है. इस स्थिति में 2 किलोग्राम कौपर औक्सीक्लोराइड को 625 लिटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर की दर से 10-15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए.

प्याज में उकठा रोग से बचाव के लिए बीज की नर्सरी डालने से पहले उपचारित कर लेना जरूरी हो जाता है.

कीट नियंत्रण

विषय वस्तु विषेषज्ञ राघवेंद्र विक्रम सिंह के मुताबिक, प्याज में सब से अधिक थ्रिप्स नामक कीट का प्रकोप होता है. इस कीट से बचाव के लिए 750 मिलीलिटर मैलाथियान या 375 मिलीलिटर मोनोक्रोटोफास को 750 लिटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए. प्याज की खुदाई से 10 दिन पहले इस का छिड़काव बंद कर देना चाहिए.

प्याज का उत्पादन

प्याज की फसल पर रोपाई के समयानुसार अगेती व पछेती का असर होता है. अगर प्याज की रोपाई दिसंबर माह तक कर दी गई है, तो इस का औसत उत्पादन 10.5 टन प्रति हेक्टेयर तक होता है. अगर प्याज की रोपाई जनवरी माह में की गई है, तो प्याज का उत्पादन औसत गिर जाता है.

खुदाई एवं भंडारण

प्याज की उचित समय पर खुदाई व भंडारण पर खासा ध्यान देना चाहिए, क्योंकि प्याज में सड़न बहुत तेजी से फैलती है. प्याज की खुदाई का समय 2.5 से 3 माह तक का होता है. जब गांठों का रंग लाल हो गया हो, तो खुदाई के 10 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए, क्योंकि इस से प्याज की गांठें सुडौल हो जाती हैं और सड़न की संभावना कम होती है.

खुदाई के बाद खराब गांठों को निकाल कर प्याज का हवा वाली जगह पर भंडारण कर देना चाहिए. इस के अलावा शीतगृहों में भी भंडारण किया जा सकता है.

(नोट : यह लेख विषय वस्तु विषेषज्ञ राघवेंद्र विक्रम सिंह से हुई बातचीत पर आधारित है.)

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