कई सालों से यह देखा गया है कि कुछ किसान अपने खेतों की मेंड़ों पर पौपलर के पेड़ लगा रहे हैं जो कतार में खड़े हुए ऐसे लगते हैं जैसे खेतों के प्रहरी हों. आमतौर पर खेतों की मेंड़ पर कुछ नहीं उगाया जाता लेकिन आजकल कुछ किसान ऐसा कर के इन पेड़ों से अलग आमदनी ले रहे हैं.

पोपलर कम समय में तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है. इस की अच्छी नस्लें तकरीबन 5 से 8 साल में तैयार हो जाती हैं. पोपलर की पौध एक साल में तकरीबन 3 से 5 मीटर तक ऊंची हो जाती है.

उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों में इन को देखा जा सकता है.

पोपलर जंगल की कमी को भी पूरा करते हुए लकड़ी उद्योग की भी मांग को पूरा करता है. साथ ही, किसानों को भी फायदा देता है.

पोपलर की लकड़ी का इस्तेमाल : पोपलर की लकड़ी से दियासलाई की तीली, प्लाइवुड, चम्मच, खेलों के कई तरह के सामान, फर्नीचर, पैंसिल वगैरह अनेक चीजें बनाई जाती हैं जो हमारी रोजमर्रा की जरूरतें हैं.

कहां से लें पौध : पोपलर की पौध के लिए किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विश्वविद्यालय, वन विभाग से संपर्क कर सकते हैं. वहां से आप को अच्छी नस्ल की पौध मिलेगी. इस के अलावा कुछ प्राइवेट नर्सरी भी पौधे तैयार करती हैं. वहां से भी पौध खरीद सकते हैं.

Wimco

पोपलर और विमको लिमिटेड : विमको लिमिटेड तकरीबन 30-32 सालों से पोपलर की नई और तेजी से बढ़ने वाली प्रजातियों को तैयार कर रही है.

यह उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब में कृषि वैज्ञानिकों की निगरानी में पौध तैयार कराती है और किसानों को सही दाम पर पौध भी मुहैया कराती है.

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