सागों का सरदार बथुआ है. इसे सेहत के लिहाज से सब से अच्छा आहार माना जाता है. बथुआ को अंगरेजी में लैंब्स क्वार्टर्स कहते हैं. इस का वैज्ञानिक नाम चैनोपोडियम एल्बम है.

साग और रायता बना कर बथुआ पुराने समय से ही खाया जाता रहा है, लेकिन क्या आप को पता है कि दुनिया की सब से पुरानी महल बनाने की किताब शिल्प शास्त्र में लिखा है कि हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग करने के लिए पलस्तर में बथुआ मिलाते थे?

हमारी बुजुर्ग औरतें सिर से जू व फांस यानी डैंड्रफ साफ करने के लिए बथुए के पानी से बाल धोया करती थीं.

बथुआ विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी9 और विटामिन सी से भरपूर है. साथ ही, इस में कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक आदि मिनरल्स होते हैं.

Bathua

100 ग्राम कच्चा बथुआ यानी इस के पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं.

बथुआ में जिंक होता है, जो शुक्रवर्धक होता है. बथुआ कब्ज दूर करता है. अगर पेट साफ रहेगा, तो कोई भी बीमारी शरीर में लगेगी ही नहीं. साथ ही, ताकत और स्फूर्ति बनी रहेगी.

जब बथुआ को मट्ठा, लस्सी या दही में मिला दिया जाता है, तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला व किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बन जाता है. साथ में बाजरे या मक्के की रोटी, मक्खन व गुड़ की डली हो, तो इसे खाने के लिए अमीर भी तरसते हैं.

जब हम बीमार होते हैं, तो आजकल डाक्टर सब से पहले विटामिन की गोली खाने की सलाह देते हैं. पेट से होने वाली महिलाओं को खासतौर पर विटामिन बी, सी व आयरन की गोली बताई जाती है. बथुआ में ये सबकुछ हैं.

कहने का मतलब तो यही है कि बथुआ पहलवानों से ले कर पेट से होने वाली महिलाओं तक, बच्चों से ले कर बड़ेबूढ़ों तक सब के लिए फायदेमंद है.

बथुआ का सेवन कम से कम मसाले डाल कर करें. स्वाद के लिए काला नमक मिलाएं और देशी गाय के घी से छौंक लगाएं.  बथुए का उबला हुआ पानी अच्छा लगता है और दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ठ होता है.

कहने का मतलब है कि जब तक इस मौसम में बथुआ का साग मिलता रहे, हर रोज इस की सब्जी बना कर खाएं.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...