हिसार: चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सरसों की उन्नत किस्में न केवल हरियाणा, बल्कि देश के अन्य प्रदेशों के किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होंगी. इस के लिए विश्वविद्यालय ने नैशनल क्राप साइंस, बीकानेर (राजस्थान), माई किसान एग्रो नीमच (मध्य प्रदेश), फेम सीड्स (इंडिया) व उत्तम सीड्स हिसार के साथ तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध किसानों तक नहीं पहुंचेंगे, तब तक उस का कोई फायदा नहीं है. इसलिए इस तरह के समझौतों से विश्वविद्यालय का प्रयास है कि यहां विकसित फसल की उन्नत किस्मों व तकनीकों को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाया जा सके.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सरसों की किस्म आरएच 1424 समय पर बोआई और बारानी परिस्थितियों में खेती के लिए उपयुक्त है, जबकि आरएच 1706 एक मूल्यवर्धित किस्म है.

उन्होंने आगे जानकारी देते हुए यह भी कहा कि उपरोक्त किस्में सरसों उगाने वाले राज्यों की उत्पादकता को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगी . हरियाणा पिछले कई सालों से सरसों फसल की उत्पादकता के मामले में देश में शीर्ष स्थान पर है. यह मुकाम विश्वविद्यालय में सरसों की अधिक उपज देने वाली किस्मों के विकास एवं किसानों द्वारा उन्नत तकनीकों को अपनाने के कारण ही संभव हुआ है. अब तक यहां अच्छी उपज क्षमता वाली सरसों की कुल 21 किस्मों को विकसित किया गया है.

एकसाथ 4 कंपनियों के साथ हुआ समझौता

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