हरदा : जिले में पिछले कई दिनों से निरंतर बारिश हो रही है. इस वजह से कहींकहीं फसलों में पानी भराव की स्थिति एवं कीटव्याधियों और पौधों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई देने की सूचनाएं मिल रही हैं.

कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों ने किसानों को अपनी फसलों को सुरक्षित रखने एवं उत्पादन अधिक लेने के लिए सलाह दी है कि बारिश की अधिकता के कारण जल भराव वाले खेतों से जल निकासी की समुचित व्यवस्था करें. वर्तमान स्थिति में खेती की लगातार निगरानी करें.

किसानों को यह भी सलाह दी गई है कि फसलों में तना मक्खी, गर्डल वीटल अर्थात रिंग कटर, सेमीलूपर का प्रकोप होने पर उचित सलाह के मुताबिक दवाओं का चयन कर फसलों में अनुशंसित पानी की मात्रा एवं कीटनाशक की मात्रा का समयसमय पर छिड़काव करें.

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा है कि थायोमेथोक्साम आसोसाइक्लोसरम, 600 मिलीलिटर  प्रति हेक्टयर, सायहेलोथ्रिन 125 मिलीलिटर प्रति हेक्टेयर या इमिडाक्लोप्रिड, बीटा सायफ्लूथ्रिन 350 मिलीलिटर प्रति हेक्टरेयर का 500 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें.

अगर खेत में केवल गर्डल वीटल का प्रकोप हो, तो थियाक्लोप्रिड 650 मिलीलिटर का 500 लिटर पानी के साथ घोल बना कर एक हेक्टयर खेत में छिड़काव करें. वर्तमान मौसम की स्थिति को देखते हुए अधिक आर्द्रता एवं कम तापमान होने के कारण फफूंदजनित रोगों का प्रकोप भी होने की संभावना बनी रहती है. ऐसी स्थिति में कार्बनडाजिम व मैंकोजेब 1.25 किलोग्राम अथवा टेबुकोनाजोल व सल्फर 1.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर को 500 लिटर पानी के साथ घोल बना कर एक हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करें.

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