इस समय आलू उत्पादन में चीन के बाद भारत दूसरे पायदान पर है. यूरोप व कई दूसरे देशों में आलू की खपत 100 से 120 किलोग्राम हर आदमी हर साल है जबकि भारत में यह तकरीबन 20 किलोग्राम हर आदमी हर साल है. भारत में आलू पैदावार में पिछले सालों में काफी इजाफा हुआ है और साल 1949 में जब केंद्रीय आलू संस्थान की नींव रखी गई थी, उस समय भारत में आलू 0.23 मिलियन हेक्टेयर रकबे में उगाया गया था.

मिट्टी व आबोहवा

आलू की खेती के लिए जीवाणु वाली बलुई व हलकी दोमट मिट्टी बढि़या होती है. पानी के निकलने का पुख्ता बंदोबस्त होना चाहिए. आलू की फसल के लिए ज्यादा अम्लीय या क्षारीय और पानी रुकने वाली जमीन कभी न लें.

खेत की तैयारी

आलू को बोने से पहले हरी खाद वाली सनई, ढेंचा, मूंग व उड़द खेत में लगाने से नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश की  30 फीसदी से भी कम मात्रा की जरूरत पड़ती है.

आलू की फसल के लिए मिट्टी को ज्यादा भुरभुरी बनाए रखने के लिए बोआई से 6-8 हफ्ते पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें और उस के बाद हैरो से 2 बार अथवा कल्टीवेटर से जुताई कर पाटा लगा कर खेत को समतल कर लें. मुनासिब नमी बनाए रखने के लिए पलेवा कर के फिर से कल्टीवेटर से 2 जुताई करना फायदेमंद होगा.

बीज की तैयारी

बोआई से कम से कम 10 दिन पहले कोल्ड स्टोर से आलू के बीज को निकाल लें. बीज की बोरियों को कम से कम 24 घंटे तक सामान्य कमरे में रखें. कभी बीज को कोल्ड स्टोर से सीधे ज्यादा तापमान में न निकालें, नहीं तो बीज सड़गल सकता है.

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