हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान विभाग द्वारा विश्व मृदा दिवस पर सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान में मिट्टी की देखभाल: माप, निगरानी व प्रबंधन पर विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बी.आर. काम्बोज ने कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बी. आर. काम्बोज ने कहा कि भूमि की उर्वरक क्षमता बनाएं रखने के लिए मिट्टी की जांच, फसल चक्र में बदलाव, जैविक प्रबंधन और कम भूजल दोहन वाली फ़सलें व तकनीकें अपनाना बहुत जरुरी है. उन्होंने कहा कि मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तो पैदावार भी बढ़ेगी. इस लिए किसान नियमित रुप से मिट्टी की जांच करवाते रहें और उस के अनुसार ही फसलों का चयन करें. क्योंकि अधिक रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से किसान की लागत भी बढ़ती है और मिट्टी के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुँचता है.
विश्व मृदा दिवस का उद्देश्य मिट्टी के संरक्षण, महत्व और उस के टिकाऊ उपयोग के प्रति जागरूकता को बढ़ाना है. मिट्टी पृथ्वी पर जीवन का आधार है क्योंकि यह खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन में मुख्य भूमिका निभाती है. विश्व में लगभग 95 फीसदी खाद्य पदार्थ मिट्टी पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि मृदा की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखना खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए बहुत जरूरी है.
उन्होंने कहा कि किसानों को अपने खेत की मिट्टी की जांच बिलकुल करवानी चाहिए. इससे किसान कम मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करके अधिक पैदावार ले सकते हैं. किसानों की मिट्टी की जांच के लिए विश्वविद्यालय द्वारा उचित प्रबंध किए गए हैं. किसानों को परंपरागत फसलों के स्थान पर दलहनी एवं तिलहनी फसलों की खेती करने के लिए आगे आने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि इस से उनकी आर्थिक स्थिति और अधिक मजबूत होगी. किसान फसल अवशेष ना जलाएं क्योंकि इस से भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने वाले जीवाणु खत्म हो जाते हैं.
मृदा के क्षेत्र में वैज्ञानिकों की बहुत बड़ी भूमिका रही है. वैज्ञानिकों के द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों, सरकार द्वारा प्रदत्त कि जा रही सुविधाओं तथा किसानों के द्वारा की जा रही मेहनत राष्ट्र की प्रगति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
अनुसंधान निदेशक डा. राजबीर गर्ग ने विभाग की शोध संबंधी प्राथमिकताओं के बारे में बताते हुए मृदा उर्वरता के जिला स्तरीय मानचित्र बनाने पर भी सुझाव दिया. कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा ने बताया कि विभाग द्वारा साल 2024 में मिट्टी के 3000 तथा पानी के 2800 नमूनों की जांच की गई. उन्होंने कुलपति द्वारा 5 कृषि विज्ञान केंद्रों में नई मिट्टी प्रयोगशाला बनाने के लिए दिए गए बजट पर उनका धन्यवाद किया.