प्राकृतिक खेती में किसी भी तरह के कृषि रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता. इस तरह की खेती में प्राकृतिक तौरतरीके ही अपनाए जाते हैं, जो सस्ते और सुविधाजनक भी होते हैं. प्राकृतिक खेती को लाभकारी बनाने के लिए खेती करने के तौरतरीकों में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जैसे, प्राकृतिक खेती में देशी बीज/ घर का बीज बोना है. एक बीज के साथ दो बीजपत्रीयुक्त सहफसली खेती लेनी है. मोनोक्रापिंग (जैसे केवल गेहूं या धान नहीं उगाना है ) नहीं करना है.

-हमेशा मल्चिंग विधि अपनाएं. मल्चिंग में घासों का भी अनुपात एक बीजपत्री का एक भाग और दो बीजपत्री का दो भाग ही रखना है.

-कम से कम 4-5 लेयर की मल्टीस्टोरी क्रापिंग लेना है. फसलों की लाइन पूरबपश्चिम दिशा में ही रखना है.

-खेत में मेंड़ पर पौधे लगाना है, यदि कुछ पानी उपलब्ध है तो अल्टरनेट नालियों में सिंचाई करनी है.

-हर महीने में खेती में कम से कम एक बार घन जीवामृत व जीवामृत देना है. बीज बोने से पहले बीजोपचार जीवामृत से ही करना है.

-घर पर बीज बैंक बनाना है अर्थात बाजार से (लोहा, हींग, बुझा चूना छोड़ कर) कुछ भी नहीं खरीदना है. इस से प्रति एकड़ आमदनी बढ़ेगी.

-खेत से नियमित आमदनी के लिए फलफूल,अनाज, सब्जियों को एकसाथ उगाना है. खेती को फायदे का सौदा बनाना है, इसलिए हमेशा बिजनेसमैन की सोच रखना जरूरी है.

-किसानों, कृषि विशेषज्ञों को जोड़ कर मोबाइल फोन में व्हाट्सएस ग्रुप बना कर रखें, जिस से अपने खेत के उत्पादों को अपने खेत/फार्म /घर से ही विक्रय किया जा सके, जिस से उपज के दाम भी अच्छे मिल सकें. मंडी में उपज पहुंचने पर उसे औनेपौने दाम पर बेचना किसान की मजबूरी हो जाती है. इसलिए अपनी उपज के दाम खुद तय करें.

-प्राकृतिक खेती करने के लिए कम से कम एक देशी गाय या एक पशु जरूर पालें, जिस से पशु का गोबर भी मिल सके. घर पर गाय के मूत्र को पीपे में रख कर इकट्ठा करते रहना है. पुराना गौमूत्र और ताजा गोबर खेती के लिए ज्यादा गुणकारी है.

-यदि गाय नहीं पालना चाहते हैं, तो भैंस भी पाल सकते हैं. उस के गोबर व मूत्र का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

-किसान के पास कई बार काफी समय भी होता है, इसलिए उस समय का इस्तेमाल करें. इस के लिए कृषि से संबंधित नईनई जानकारी के लिए पत्रपत्रिकाओं को पढ़ें, कृषि समाचार आदि सुनें.
समयसमय पर किसानों और पशुपालकों के लिए सरकार द्वारा अनेक लाभकारी योजनाएं आती रहती हैं, अपनी सुविधानुसार उन का भी फायदा लेने की कोशिश करें.

-खेत में फालतू पानी न भरने दें. इस बात का भी ध्यान रखें कि पड़ोसी के खेत का पानी अपने खेत में नहीं आने देना है.

-खेत के चारों तरफ बाड़ के रूप में 1-2 मीटर ऊंचाई वाली फसल/ उत्पाद लगाएं, जो अपने काम में आएंगे.

-हो सके, तो खेत या फार्म पर कुछ पौधे सहजन के जरूर लगाएं.

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