कृषि में दलहन फसलों का खास स्थान है, क्योंकि दलहन प्रोटीन का मुख्य स्रोत है. दुनिया में भारत दलहन फसलें पैदा करने वाला पहला देश है. यहां हर तरह की फसलें उगाई जाती हैं. देश की भौगोलिक स्थिति और मौसम के अनुसार दलहन फसलों को 2 समूहों में बांटा गया है.

पहला समूह : खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली फसलें जैसे अरहर, मूंग, उड़द, लोबिया आदि.

दूसरा समूह : रबी के मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में चना, मटर, मसूर वगैरह हैं.

सोयाबीन भी एक दलहन फसल है. इस में सब से ज्यादा प्रोटीन होता है.

जमीन की उर्वराशक्ति बनाए रखने व सेहत के लिए भी दलहनी फसलों का खास योगदान है.

दलहन फसलों की खूबियां

* दलहन फसलों में प्रोटीन की मात्रा दूसरी फसलों के मुकाबले ज्यादा होती है.

* ये फसलें वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन को अपनी जड़ों द्वारा जमीन में खड़ी फसलों को मुहैया कराती हैं.

* दलहन फसलें, फसल प्रणाली और अंतरफसल पद्धति में भी खास हैं. इन्हें कम पानी की जरूरत पड़ती है और बारिश पर आधारित खेती में भी ये बहुत उपयोगी साबित होती हैं.

* दलहन फसलें हरे चारे की अच्छी स्रोत हैं.

* ये फसलें पौष्टिक सब्जियों का जरीया बन सकती हैं.

* दलहन फसलों की पैदावार और प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने में इन का खासा योगदान है.

दलहन फसलों की खेती लगभग 250 लाख हेक्टेयर जमीन में की जा रही है. इस के बाद भी इन की मौजूदगी जरूरत से कम है. जो लोग शुद्ध शाकाहारी हैं उन के लिए दलहन फसलों का काफी महत्त्व है, लेकिन इन फसलों को उगाने में किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली दलहन फसलें ज्यादातर बारिश पर ही निर्भर रहती हैं. धान, मक्का, तिलहन, मूंगफली, सोयाबीन जैसी कुछ फसलें और व्यापारिक फसलें जैसे गन्ने की तुलना में कई बार किसान दलहन फसलों पर कम ध्यान देते हैं इसीलिए इन की पैदावार भी कम होती है.

यदि किसान अच्छी तकनीक अपना कर दलहन फसलों की खेती करें तो इन फसलों की पैदावार प्रति हेक्टेयर बढ़ा सकते हैं.

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