जगल जलेबी (Jungle Jalebi) या गोरस इमली मध्यम आकार का तेजी से बढ़ने वाला और हमेशा हरा रहने वाला कांटेदार पेड़ है. इसे वैज्ञानिक भाषा में पीथेसेलोवीयम ड्यूक्स या पिथेसेलोवियम डलसी या मायमोसा ड्यूल्सीस भी कहते हैं. इस के अंगरेजी नाम मद्रास थोर्न व मनीला हेमेरिंड हैं.
यह करीब 18-20 मीटर तक ऊंचा होता है. इस की छाया में घास नहीं उग पाती है. इस की छाल सलेटी रंग की होती है, जिस पर भूरी या पीली आड़ी धारियां होती हैं. इस की पत्ती के अंत में एक जोड़े कांटे होते हैं. ये पेड़ मैक्सिको व मध्य अमेरिका में कुदरती रूप से पाए जाते हैं.
भारत में जंगल जलेबी के पेड़ गुजरात, राजस्थान, पंजाब व हरियाणा के अलावा दक्षिण भारत में भी लगाए गए हैं. ये हर किस्म की जमीन में उग सकते हैं. हलकी चूने वाली रेतीली जमीन, बंजर जमीन और समुद्र तट के खारे पानी वाली जमीन में भी ये उग सकते हैं. जंगल जलेबी के पेड़ 450 से 1650 मिलीमीटर बारिश वाले क्षेत्रों में आसानी से उग सकते हैं. ये पेड़ सूखा या गरमी सहन कर सकते हैं, पर पाले के प्रति संवेदनशील होते हैं.
जंगल जलेबी के पेड़ पर जनवरीफरवरी में सफेद फूल आते हैं. इस के फल मार्च से मई के बीच में लगते हैं. इस की फली अर्द्धचंद्राकार और बीजों के बीच में सिकुड़ी हुई होती है. हर फली में 6 से 10 बीज होते हैं. बीजों को 2-3 दिन धूप में सुखा कर और किसी कीटनाशक में मिला कर रखने से उन्हें 6 महीने तक रखा जा सकता है.
खेती का तरीका : जंगल जलेबी को बीजों द्वारा उगाया जा सकता है. इस में ठूंठ से दोबारा पनपने की कूवत भी होती है. इस के पेड़ को काटने पर ठूंठ से नई शाखाएं निकलती हैं. इस के बीजों को किसी तरह के उपचार की जरूरत नहीं होती है. बोआई के 2-3 दिनों बाद बीज उग जाते हैं. बारिश के मौसम में पौधों को 3 मीटर × 2 मीटर के अंतर पर रोपा जाता है. 1 हेक्टेयर में 1666 पौधे लगाए जा सकते हैं.
इस्तेमाल : इस पेड़ को ऊसर जमीन के सुधार के लिए लगाया जाता है. इस के अलावा इसे खेत की मेंड़ पर बाड़ के लिए और हवा की गति रोकने वाले पेड़ के रूप में भी लगाया जाता है.
इस की जड़ें हवा की नाइट्रोजन को योगीकरण द्वारा नाइट्रोजन के यौगिक नाइट्रेट में बदल देती हैं. इस की लकड़ी साधारण इमारती काम और खंभे बनाने के काम में इस्तेमाल की जाती है. इस की लकड़ी जलाने पर बहुत धुंआ देती है, लिहाजा ईंटों को पकाने के काम में इस्तेमाल की जाती है.
जंगल जलेबी की पत्तियां चारे के काम में आती हैं. इस में 29 फीसदी प्रोटीन होता है. इस की टहनियां भी जानवरों को खिलाई जा सकती हैं. इस की फलियों को मीठे गूदे के कारण बच्चे चाव से खाते हैं. इस की फलियां पशुओं को भी खिलाई जाती हैं. इस के बीजों में 17 फीसदी तेल होता है, जिसे शुद्ध करने के बाद खाने के काम में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे साबुन बनाने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस की खली का इस्तेमाल पशुओं को खिलाने में किया जाता है.
कुल मिला कर जंगल जलेबी का पेड़ कई तरह के कामों में इस्तेमाल किया जाता है, लिहाजा इस की खेती कर के किसान काफी कमाई कर सकते हैं.