फसल में बीमारी होने पर किस फसल में कौन सा कीटनाशक प्रयोग करना है, इस की जानकारी की कमी में किसान कई बार गलत कदम उठा लेते हैं. कीटनाशक विजेता ने जैसा बताया वैसा किया, जबकि कई चालू कंपनियां लोकल माल बनाती हैं और विके्रताओं को अच्छा मुनाफा भी देती हैं तो विक्रेता भी उन्हीं दवाओं को किसान को इस्तेमाल करने की सलाह देता है. किसान भी उन के बहकावे में आ कर गलत कदम उठा लेते हैं.

अभी कुछ दिन पहले भारत सरकार ने भी मई, 2020 में 27 कीटनाशकों को बैन करने की बात कही, जिस पर अनेक कीटनाशक कंपनियों ने होहल्ला मचाया.

इस तरह की खबरें आती रहती हैं, लेकिन तसवीर साफ नहीं होती कि कौन सा कीटनाशक हमें इस्तेमाल करना है, कौन सा नहीं.

अनेक कंपनियां मिलतेजुलते नामों से उन की नकल बना कर भी बेचती हैं, जिस में अकसर किसान धोखा खा जाते हैं, इसलिए किसान को सजग रहना है. अपनी सेहत के साथसाथ फसल की सेहत का भी खयाल रखना है.

जहरीले कीटनाशक सभी को हानि पहुंचाते हैं. हमेशा कृषि माहिरों से जानकारी ले कर ही उन्हें इस्तेमाल करें.

इस विषय को ले कर प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि अनाज हो, फल या सब्जी, अच्छी पैदावार के लिए इन में कीटनाशकों का जो प्रयोग हो रहा है, उस से इनसान की सेहत को गंभीर खतरा है. ये कंपनियां ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में कीटनाशकों में जहर का ओवरडोज मिला रही हैं. किसान अपनी कीट संबंधी समस्या ले कर कीटनाशी विक्रेता के पास जाते हैं, तो अधिकतर विक्रेता सब से जहरीला कीटनाशी पहली बार में ही दे देते हैं या एकसाथ कई कीटनाशी डालने के लिए करते हैं. जो मात्रा संस्तुत है, उसे ज्यादा मात्रा में फसल पर डालते हैं.

ऐसा भी देखने में आया है कि ज्यादा मात्रा होने से फसल झुलस भी जाती है. फल, सब्जी या अनाज में मौजूद कीटनाशक कई खतरनाक बीमारियों को जन्म दे रहे हैं. ये रसायन लिवर व किडनी जैसे महत्त्वपूर्ण अंगों के लिए खतरनाक हैं.

किसी भी कीटनाशक को तैयार करने में उस में खतरनाक कैमिकल मिलाने का अनुपात निर्धारित है. कई रासायनिकों की जांच से भी खुलासा हो चुका है कि इन्हें बनाने में तय मानकों का घोर उल्लंघन होता है. अधिक उपज के लिए किसान इन कीटनाशकों को जितना ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, उतने ही अधिक कीटपतंगों की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ रही है.

कीटनाशकयुक्त फलसब्जी लेने से आदमी की सेहद पर बुरा असर पड़ता है. खानेपीने की चीजों में मिले हुए कीटनाशक जब मनुष्य के पेट में पहुंचते हैं, तो वहां से रक्त में मिल कर शरीर के सभी अंगों तक पहुंच जाते हैं. शरीर में मिलने के बाद कीटनाशक लिवर और किडनी को नुकसान पहुंचाना शुरू करते हैं.

डाक्टरों का कहना है कि कीटनाशकों के दुष्परिणाम के कारण नपुंसकता और डायबिटीज के मामले बढ़ते जा रहे हैं. सिरदर्द, उलटी का अनुभव, अनिद्रा, आंखों से धुंधला दिखना आदि लक्षण दिख सकते हैं.

किसानों से सीधे सब्जी खाने के लिए क्रय किया जाता है, तो फसल पर छिड़काव तक सीमित रहता है. परंतु वही सब्जी जो स्थायी विक्रेताओं से ली जाती है, तो कभीकभी ज्यादा घातक होती है. एक तो सब्जियां बासी कई दिनों की होती हैं और उसे हराभरा रखने के लिए मेलाकाइट ग्रीन रसायन मिलाते हैं. केला कार्बाइड से पकाते हैं. सेब के ऊपर मोम की परत चढ़ा देते हैं. तरबूज में लाल रंग सेक्रिन में मिला कर इंजैक्शन लगा देते हैं.

इस से बचने के लिए विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. मौसमी फलसब्जियों का सेवन करें. बेमौसम वाली सब्जियों का प्रयोग न करें, क्योंकि मिलावट इसी में ज्यादा होने की संभावना रहती है. सब्जियों को सिरके के पानी में धो कर प्रयोग करें. सेब को खाने से पहले छिलका हटा लें. कीटनाशी विके्रता जैविक कीटनाशी की बिक्री करें. कीट बीमारी लगने पर इन के प्रबंधन के लिए कीट रोग विशेषज्ञ से राय जरूर लें.

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