रबी की खेती किसानों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होती है. इसी से उस के सारे काम व विकास निर्धारित होते हैं. इन दिनों अच्छीखासी ठंड होती है और अगर बारिश हो जाए तो कहीं तो ये फायदेमंद होती है, लेकिन कई दफा ओला गिरने आदि से फसल को बहुत ज्यादा नुकसान होता है. किसानों की मेहनत और कीमत दोनों ही जाया हो जाती हैं.

जाड़े की वर्षा को महावट कहा जाता था. फसल के लिए इसे अमृत वर्षा कहा जाता है, परंतु जब ये जाड़े की वर्षा इतनी अधिक हो जाए, जो खेत को नमी देने के बजाय उस में जलभराव हो जाए या ओला पड़ जाए, तो यह किसानों की फसल के लिए नुकसानदेह साबित होती है.

जिस खेत में जितनी अधिक लागत की खेती की गई है, उस में उतने नुकसान की संभावना होती है.

ऐसी बरसात से दलहनी व तिलहनी फसलें पूरी तरह से बाधित हो जाती हैं और अब तो सारी फसलें यहां तक गेहूं को भी नुकसान होने की संभावना हो जाती है.

जब ऐसी प्राकृतिक आपदा आती है, वास्तव में किसानों की सारी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है. चना, मटर, मसूर, अरहर, सरसों, आलू आदि में अधिक नुकसान होता है. कई जगहों पर तो सरसों व अरहर की जो फसलें गिर जाती हैं, उन्हें भी खासा नुकसान होता है.

ऐसे समय में ढालू भूमि जैसे यमुना, गंगा व नदियों के किनारे की खेती में जलभराव से नहीं जल बहाव से नुकसान होता है.

फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी खासा नुकसान होता है. फूल की अवस्था की समस्त फसलों में फूल गिरने व क्षतिग्रस्त होने से उत्पादन गिर जाता है.

मौसम नम होने व कोहरा होने से रोग व कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है, जिस से फसल को नुकसान होना तय है.

वर्षा के बाद के उपाय

* खेतों में जो पानी भरा है, उसे निकालने की तुरंत कोशिश की जाए.

* खेत की निगरानी नियमित करते हुए रोग व कीट नियंत्रण के लिए दवाओं का छिड़काव करें.

* झुलसा रोग का उपचार करें.

* माहू कीट का नियंत्रण करें.

* चना, मटर में फली छेदक कीट का निदान करें.

* गन्ना की फसल को विभिन्न तना छेदक कीटों से बचाव के उपाय अपनाएं.

* आलू बीज उत्पादन वाली फसल की बेल को काट दें.

* देरी से बोई जाने वाली गेहूं की प्रजातियों हलना, उन्नत हलना नैना की बोआई कर सकते हैं.

खाली खेतों के लिए फसल योजना

* अधिक वर्षा से फसलें क्षतिग्रस्त होने पर खेत को तैयार कर तुरंत गेहूं की बोआई की जा सकती है.

* टमाटर की ग्रीष्म ऋतु की फसल और प्याज की रोपाई कर सकते हैं.

* जायद की भिंडी व मिर्च के लिए खेत की तैयारी कर के फरवरी माह में बोआई व रोपाई कर सकते हैं.

* गन्ने की 2 कतारों के बीच मूंग व उड़द की बोआई कर सकते हैं.

* सब्जी की बोआई के लिए खेत को तैयार कर सकते हैं.

* आलू के खेत में गरमी की मूंगफली की बोआई कर क्षति पूर्ति कर सकते हैं.

दिए गए सुझाव के साथ  यदि इस विपरीत परिस्थिति में खेती का प्रबंधन करें तो कुछ हद तक नुकसान की भरपाई हो सकती है.

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