देश में उगाई जाने वाली दलहन फसलों में से एक मूंग भी है. यह कम समय में पक कर तैयार हो जाती है. इस फसल को कई फसल प्रणाली में शामिल करने का मौका मिला है.

जलवायु : यह ठंडीगरम जलवायु की फसल है. इस के लिए 25-30 डिगरी सैल्सियस तापमान की जरूरत रहती है.

जमीन की तैयारी : मूंग की खेती के लिए बलुईदोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है, जिस का पीएच मान 7 हो. अच्छा जलनिकास व समतल जमीन मूंग की खेती के लिए अच्छी रहती है.

बोआई से पहले 2-3 जुताई कर के खेत में पाटा चला कर समतल कर लेना चाहिए और पिछली फसल का थोड़ा सा भाग मिट्टी में मिलाना चाहिए.

बोआई का समय : जून से जुलाई के आखिर तक मूंग की बोआई करने का सही समय होता है.

बीज की मात्रा : मूंग की बोआई के लिए 15-20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर काफी रहता है.

बोने की विधि : मूंग की बोआई लाइन में करनी चाहिए. लाइन से लाइन की दूरी 25-30 सैंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 8-10 सैंटीमीटर होनी चाहिए और बीज की गहराई 5-6 सैंटीमीटर से अधिक न हो.

अच्छी किस्में : मूंग की किस्में उन्नत की गई हैं. सस्य तकनीक अपना कर मूंग की अच्छी उपज हासिल की जा सकती है. इस की खास किस्में पूसा बैशाखी, पी 8, पी 9072, पीएस 105, पीएस 16, पीएस 10, पूसा विशाल, एमएल 337, पीडीएम 2, आशा वगैरह खास हैं.

खाद : इस के लिए 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर काफी है. 100 किलोग्राम डीएपी में नाइट्रोजन और फास्फोरस की जरूरी मात्रा मौजूद रहती है और जीवाणु टीका मूंग की उपज बढ़ाने में सहायक होता है.

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