आमतौर पर प्याज की खेती रबी मौसम में की जाती है, पर खरीफ में भी प्याज का अच्छा उत्पादन किया जा सकता है, बशर्ते उचित प्रबंधन और खरीफ मौसम में उगाने वाली प्रजातियों का चयन सही तरीके से किया जाए
भूमि व खेत की तैयारी
प्याज की खेती बलुई दोमट भूमि व दोमट भूमि में की जाती है, जिस में कार्बनिक पदार्थों की पर्याप्त मात्रा हो. भूमि के चयन के साथसाथ खेत का चयन भी महत्त्वपूर्ण है.
प्याज की खेती ऐसे खेतों में ही की जाए, जिन में जल निकास की उचित सुविधा हो और वर्षा का पानी खेत में जमा न होने पाए.
भूमि की गहरी जुताई के बाद रोपाई करने के लिए 2-3 जताई कल्टीवेटर से कर के भुरभुरा बना लेना चाहिए.
खरीफ में उगाने वाली प्रजातियां
एग्रीफाउंड डार्क रैड : यह किस्म रोपाई के 90 से 110 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इस की औसत उपज 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है.
एन-53 : यह किस्म रोपाई के 110 से 120 दिन में तैयार होती है और 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है.
अर्का निकेतन : यह किस्म 120 से 125 दिन बाद तैयार हो जाती है और तकरीबन 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है.
अर्का कल्याण : यह रोपाई के 110 से 115 दिनों में तैयार होती है और 325 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है.
पौध तैयार करने का समय व विधि
उक्त प्रजाति का चयन कर जुलाई के पहले हफ्ते तक नर्सरी की बोआई कर दें. देरी से बोआई करने पर उत्पादन प्रभावित होता है.
नर्सरी के लिए उपजाऊ, उपयुक्त जल निकास व सिंचाई की सुविधायुक्त भूमि का चयन करना चाहिए.