दुनियाभर की धान्य फसलों में गेहूं बहुत ही खास फसल है. हालांकि चावल एशिया की ज्यादातर आबादी का प्रमुख भोजन है, पर विकसित और धनवान आबादी का प्रमुख भोजन गेहूं ही है.

गेहूं का इस्तेमाल प्रमुख रूप से रोटी बनाने में किया जाता है. गेहूं के आटे में ग्लूटिन होने के चलते खमीर पैदा कर आटे का इस्तेमाल डबलरोटी, बिसकुट वगैरह तैयार करने में किया जाता है. बेकरी में भी गेहूं के आटे का इस्तेमाल किया जाता है. गेहूं का इस्तेमाल सूजी या मैदा और चोकर (पशुओं के लिए) व उत्तम किस्म की शराब बनाने में किया जाता है.

हमारे देश में पशुओं की तादाद ज्यादा होने के चलते गेहूं का भूसा पशुओं को खिलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जबकि अमेरिका, इंगलैंड जैसे प्रगतिशील देशों में बाल को फसल से काटने के बाद बाकी वानस्पतिक भाग का इस्तेमाल जमीन को जीवांश पदार्थ देने के लिए किया जाता है.

गेहूं में विटामिन बी1, बी2, बी6, व विटामिन ई पाए जाते हैं. इन विटामिनों का पिसाई के समय नुकसान हो जाता है. सैलूलोज ज्यादातर दाने के छिलके पर ही मिलता है. दाने में 2-3 फीसदी तक शर्करा, सैलूलोज, फ्रक्टोज, माल्टोज, सुक्रोज, मैलीबायोज, टैफीनोज वगैरह रूपों में पाई जाती है. इस तरह गेहूं जल्दी पचने वाला यानी पाचनशील, कार्बोहाइड्रेट और ऊर्जा का सस्ता साधन है.

गेहूं में खनिज पदार्थों में लोहा, फास्फोरस, मैगनीशियम, मैगनीज, तांबा व जस्ता भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. ज्यादातर खनिज पदार्थ भ्रूण में पाए जाते हैं. इस के अलावा गेहूं में पाचन क्रिया को तेज करने वाले एंजाइम भी पाए जाते हैं.

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