भारत में मूंगफली के उत्पादन का तकरीबन 75 से 85 फीसदी हिस्सा तेल के रूप में इस्तेमाल होता है. इस के फायदे इस तरह हैं:

मूंगफली में 30 फीसदी प्रोटीन, 21 से 25 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, 45 से 50 फीसदी वसा, विटामिन, कैल्शियम और दूसरे पोषक तत्त्व मौजूद हैं. इनसान के लिए ये तत्त्व जरूरी होते हैं.

मूंगफली की खेती

खरीफ और जायद दोनों मौसमों में इस की खेती की जाती है. जहां पर जायद के समय ज्यादा बारिश होती है, वहां पर भी मूंगफली की खेती की जाती है. इस के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत होती है.

मूंगफली की खेती के लिए दोमट और हलकी दोमट मिट्टी अच्छी होती है. खेत में पानी के निकलने का पुख्ता बंदोबस्त होना चाहिए.

खरीफ की खेती के लिए किस्में इस तरह हैं:

जेजीएन 3 व 23, जेएल 501, टाइप 28 व 64, चंद्रा, चित्रा, प्रकाश, अंबर, उत्कर्ष वगैरह.

कार्बंडाजिम और ट्राइकोडर्मा विरिडी 4 से 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए. अगर आप जैविक तकनीक से बीज का उपचार करना चाहते हैं तो राइजोबियम और फास्फोरस घोलक जीवाणु 7 से 10 ग्राम प्रति किलोग्राम के हिसाब से उपचारित करना चाहिए.

किसी भी मौसम में मूंगफली फसल के लिए खेत की तैयारी अच्छी तरह करनी चाहिए. खेत की पहली जुताई गहरी करें. उस के बाद 2 से 3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करें और अंतिम जुताई के बाद पाटा लगा कर खेत को समतल बना लेना चाहिए.

आखिरी जुताई से पहले 120 से 150 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद प्रति हेक्टेयर अच्छी तरह से मिला देनी चाहिए. इस के अलावा 25 से 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 35 किलोग्राम फास्फोरस, 50 किलोग्राम पोटाश और 300 से 350 किलोग्राम जिप्सम डालनी चाहिए. जिप्सम की आधी मात्रा बोआई से पहले और आधी मात्रा फूलों के समय देना अच्छा रहता है.

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